'मेक इन इंडिया, मेड फॉर वर्ल्ड' की अवधारणा को साकार कर रहा बनारस लोकोमोटिव वर्क्स : रेल मंत्रालय

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वाराणसी। रेल मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि बनारस लोकोमोटिव वर्क्स (बीएलडब्ल्यू) "मेक इन इंडिया, मेड फॉर वर्ल्ड" की अवधारणा को साकार कर रहा है। “बनारस लोकोमोटिव वर्क्स, भारतीय रेलवे की एक उत्पादन इकाई है, जो ‘मेक इन इंडिया, मेड फॉर वर्ल्ड’ की अवधारणा को साकार कर रही है। यहां निर्मित लोकोमोटिव न केवल देश में उपयोग किए जा रहे हैं, बल्कि दुनिया के कई देशों में निर्यात भी किए जा रहे हैं, ”मंत्रालय ने बीएलडब्ल्यू के एक ट्वीट को रीट्वीट करते हुए ये बात कही है। गुरुवार को ही बीएलडब्ल्यू ने उत्पादन इकाई के अंदर से ट्रेन इंजन के निर्माण को दिखाने वाली कुछ तस्वीरें ट्वीट की थीं।

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बनारस लोकोमोटिव वर्क्स के बारे में
बनारस लोकोमोटिव वर्क्स (BLW) को पहले डीजल लोकोमोटिव वर्क्स (DLW) के नाम से जाना जाता था। वाराणसी में BLW, भारतीय रेलवे (Indian Railway) की एक प्रोडक्शन यूनिट है। इसने मार्च 2019 से डीजल रेल इंजनों का निर्माण बंद कर दिया। अक्टूबर 2020 में इसका नाम बदलकर BLW कर दिया गया। देश में यह सबसे बड़ी डीजल-इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव निर्माता थी। वर्तमान में, BLW ज्यादातर इलेक्ट्रिक इंजन (WAP-7 और WAG-9) का उत्पादन करता है।

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भारतीय रेलवे के अलावा, बीएलडब्ल्यू, नियमित आधार पर, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे अन्य देशों को लोकोमोटिव निर्यात करता है। यह सेनेगल, माली, मोज़ाम्बिक, तंजानिया, अंगोला और वियतनाम को भी इंजन निर्यात करता है।

बनारस लोकोमोटिव वर्क्स का इतिहास
बनारस लोकोमोटिव वर्क्स की स्थापना 1961 में डीएलडब्ल्यू के रूप में की गई थी। 3 जनवरी 1964 को (तीन साल बाद), इसने अपना पहला लोकोमोटिव (रेल इंजन) तैयार किया। 2016, 2017 और 2018 में इसे सर्वश्रेष्ठ प्रोडक्शन यूनिट शील्ड पुरस्कार भी मिला। मार्च 2018 में, इसने दो पुराने ALCO (अमेरिकन लोकोमोटिव कंपनी) के डीजल लोको WDG-3A को सफलतापूर्वक इलेक्ट्रिक लोको WAGC-3 (WAG-10) में बदल दिया। यह दुनिया में अपनी तरह का पहला प्रयोग था। मार्च 2019 में, इसने देश का पहला द्वि-मोड लोकोमोटिव (WDAP-5) विकसित किया।

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