काशी तमिल संगमम 4.0 की सांस्कृतिक संध्या में झूम उठे दर्शक, शिव भजन से हुई शुरुआत, उत्तर-दक्षिण भारत की कला का दिखा अद्भुत संगम
वाराणसी। काशी तमिल संगमम 4.0 के आठवें दिन नमो घाट स्थित मुक्ताकाशी प्रांगण में आयोजित सांस्कृतिक संध्या ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, प्रयागराज एवं दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, तंजावूर (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार) द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में काशी और तमिलनाडु के कलाकारों ने अपनी-अपनी पारंपरिक कला प्रस्तुत कर उत्तर और दक्षिण की सांस्कृतिक विरासत को एक मंच पर सजाया।
मुख्य अतिथि अनिल राजभर ने की कार्यक्रम की सराहना
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर ने कहा कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिकल्पना आज काशी की धरती पर साकार हो रही है। इस तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम हमारी सभ्यता, संस्कृति और परंपराओं को जोड़ते हुए ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को और मजबूत करते हैं।”

सांस्कृतिक संध्या की प्रमुख प्रस्तुतियाँ
1. रंजना राय एवं दल — शिव भजन और लोकगायन
संध्या की शुरुआत वाराणसी की प्रसिद्ध लोक गायिका श्रीमती रंजना राय और उनके दल ने की। उन्होंने ‘ऊँ नमः शिवाय…’ भजन प्रस्तुत किया, जिस पर मंच और दर्शक दोनों शिवमय हो उठे। इसके बाद ‘सांवरा सांवरा लुट कर ले गया…’ लोकगीत ने माहौल में उल्लास भर दिया। संगत कीबोर्ड: संतोष कुमार, पैड: सत्यम, ढोलक: अरुण
2. एन. आनन्द वेलमुर्गन एवं दल — तमिल लोक नृत्य और वादन
तमिलनाडु से आए कलाकारों ने अपनी पारंपरिक लोक नृत्य शैली और वादन प्रस्तुत कर दर्शकों को दक्षिण भारतीय संस्कृति की छटा से परिचित कराया। नृत्य की ताल और ऊर्जा ने सभी का मन मोह लिया।
3. सुश्री कुमकुम रस्तोगी एवं दल — लोक नृत्य
तीसरी प्रस्तुति में कुमकुम रस्तोगी और उनकी टीम ने पारंपरिक लोकनृत्य प्रस्तुत किया। कलाकार— कुमकुम रस्तोगी, ट्विंकल चौरसिया, स्निग्धा सिंह, राजश्री ठाकुर, सुमिता चक्रवर्ती, ज्योति कुमारी, अमित सिंह, ऋत्विक सिंह और आयुष साहू।

4. रुद्राक्षी फाउंडेशन — कथक नृत्य
वाराणसी के रुद्राक्षी फाउंडेशन की ओर से प्रस्तुत कथक नृत्य में शास्त्रीय लय, भाव और नृत्याभिनय का अनोखा संगम देखने को मिला। नर्तक— अमृत मिश्रा, रागिनी कल्याण, शिखा रमेश, शिवानी कश्यप और अभिसिका बहरे।
5. सुश्री जननी मुरली, कोयंबत्तूर — भरतनाट्यम
तमिलनाडु के कोयंबत्तूर से आईं जननी मुरली ने भरतनाट्यम की शास्त्रीय प्रस्तुति दी। उनके मुद्राओं और नृत्याभिनय ने दर्शकों का मन मोह लिया।
6. डॉ. एस.ए. थनीकचलम — तमिल लोक नृत्य
सत्र की अंतिम प्रस्तुति तमिलनाडु के डॉ. एस.ए. थनीकचलम द्वारा प्रस्तुत लोकनृत्य रही, जिसने कार्यक्रम को सांस्कृतिक चरम पर पहुँचा दिया। नृत्य की ऊर्जा, ताल और परंपरा की अनुगूँज ने दर्शकों को देर तक तालियाँ बजाने पर मजबूर कर दिया।

पूरे कार्यक्रम का संचालन सौरभ चक्रवर्ती ने किया।
उत्तर–दक्षिण का सांस्कृतिक सेतु बना काशी तमिल संगमम 4.0
राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक आदान–प्रदान को बढ़ावा देने वाली इस संध्या ने एक बार फिर साबित किया कि कला और संस्कृति ही भारत की असली पहचान हैं। शिव भजन से लेकर तमिल लोकनृत्य तक, मंच पर प्रस्तुत हर कला ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।


