काशी में विश्वनाथ से पहले से विराजते हैं आत्मवीरेश्वर महादेव, इनके आशीर्वाद से हुआ था स्वामी विवेकानंद का जन्म, जानिए क्या है मान्यता

WhatsApp Channel Join Now
-    मां कात्यायनी के गर्भगृह में स्थित है आत्मविरेश्वर का शिवलिंग

-    शिवलिंग में बसती है काशी विश्वनाथ की आत्मा

-    शिवलिंग के साथ स्थापित हैं नवग्रहों के विग्रह

वाराणसी। काशी का कण-कण शंकर है। काशी की महिमा का बखान वेदों और पुराणों ने भी किया है। जिसके कारण देश-विदेश से काशी में शिव के दर्शनों के लिए भक्त उमड़ते हैं। काशी में हजारों शिवालय हैं, प्रत्येक शिवालय की अपनी एक महिमा है। 

काशी में एक ऐसा भी शिवालय है, जहां की मान्यता है कि यहां दर्शन पूजन से पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। काशी में आत्मविरेश्वर मंदिर का काफी शुभ फल है। मंदिर के महंत बताते हैं कि इस मान्यता पर विश्वास करते हुए ही स्वामी विवेकानंद के पिता, विश्वनाथ दत्त और माता भुवनेश्वरी देवी ने मंदिर में आ कर विधि विधान से पूजन-अर्चन किया। जिसके बाद उन्हें विवेकानंद सदृश्य पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।

Aatm Vishweshwar Mahadev

आत्मविरेश्वर महादेव का शिवलिंग मां कात्यायनी देवी के गर्भ गृह में स्थित है। मंदिर के महंत पंडित रविशंकर मिश्र ने बताया कि आत्मविरेश्वर महादेव  काशी विश्वनाथ की आत्मा के रूप में पूजे जाते हैं। इस शिवलिंग में बाबा विश्वनाथ की आत्मा बसती है। बताया कि धर्म शास्त्रों में वर्णित कथा के अनुसार इस शिवलिंग की पूजा अर्चना करने से हर मुराद पूरी होती है। 

Aatm Vishweshwar Mahadev

पंडित मिश्र ने बताया कि जिस तरह के श्री काशी विश्वनाथ की पूजा-अर्चना होती है, जो-जो आरती बाबा विश्वनाथ की होती है वो सारी प्रक्रिया यहां भी निभाई जाती है। यहां भी शाम के समय सप्तश्री आरती होती है। यह काफी प्राचीन मंदिर है जो कि श्री काशी  विश्वनाथ से भी पुराना है। उन्होंने बताया कि इस मंदिर परिसर में मां कात्यायनी और आत्मविरेश्वर का शिवलिंग तो है ही साथ में सभी नवग्रह का विग्रह भी है।

Aatm Vishweshwar Mahadev

मां कात्यायनी के जिस गर्भगृह में आत्मविरेश्वर का शिवलिंग है उसी कक्ष की दीवार पर एक तस्वीर टंगी है, उसके बारे में मंदिर के महंत पंडित रविशंकर मिश्र ने बताया कि ये स्वामी विवेकानंद के माता-पिता हैं। बताया कि स्वामी विवेकानंद जी के पिता, विश्वनाथ दत्त और माता भुवनेश्वरी देवी को काफी समय तक कोई संतति नहीं हुई। इसे लेकर वो दोनों काफी परेशान थे। ऐसे में वह  काशी आए, उन्हें किसी ने बताया कि आप दोनों आत्म विरेश्वर मंदिर में जाएं वहां बाबा विश्वनाथ की आत्मा का शिवलिंग है। उनका सविधि पूजन-अर्चन करें, योग्य पुत्र की प्राप्ति तय है। 

Aatm Vishweshwar Mahadev

पंडित रविशंकर ने बताया कि स्वामी जी के माता-पिता को जैसा बताया गया था उन्होंने वैसा ही किया। आत्म विरेश्वर महादेव के पूजन के फलस्वरूप उन्हें 12 जनवरी 1863 को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई जिसका नाम रखा गया वीरेश्वेर, जो बाद में नरेंद्र। स्वामी जी के स्वामी राम कृष्ण परमहंस के सानिध्य में आने के बाद उनका स्वामी विवेकानंद हुआ। जिसके बाद वह पूरे जगत में विख्यात हुए। 

Aatm Vishweshwar Mahadev

Aatm Vishweshwar Mahadev

Aatm Vishweshwar Mahadev

Aatm Vishweshwar Mahadev
 

Share this story