ज्ञानवापी सर्वे पर फैसला आते ही पहुंचीं किन्नर महामंडलेश्वर हिमांगी सखी, त्रिशूल लेकर किया तांडव
हिंदू संगठनों में फैसले को लेकर जबर्दस्त उत्साह, शंख ध्वनि से किया गया स्वागत
वाराणसी। ज्ञानवापी परिसर के सर्वे कराने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के तुरंत बाद निर्मोही अखाड़े की महामंडलेश्वर किन्नर हिमांगी सखी काशी विश्वनाथ धाम के गेट नंबर चार पर पहुंच गईं। उन्होंने हाथ में त्रिशूल लेकर बीच सड़क पर तांडव नृत्य शुरू कर दिया।
इसके साथ ही ज्ञानवापी पर फैसले के खबर सुनकर काशी विश्वनाथ धाम के गेट नंबर चार पर कई और साधु-संत पहुंचकर खुशी में शंख बजाने लगे। इधर, हिमांगी सखी का त्रिशूल लेकर तांडव और उधर शख की ध्वनि के बीच हर-हर महादेव का उद्घोष हो रहा था। यह दृश्य बता रहा था कि वर्षों से ज्ञानवापी को मुक्त कराने के लिए लोगों में तड़प कितनी थी। महज सर्वे के आदेश ने सबकों खुशी और जोश से भर दिया। हिमांगी सखी ने न केवल त्रिशूल लेकर तांडव किया बल्कि शंख भी बजाया। अपने को अर्धनारेश्वर का स्वरूप बतानेवाली हिमांगी सखी दो दिन पहले ज्ञानवापी परिसर में मौजूद आदि विश्वेश्वर के जलाभिषेक करने पहुंच गई थी।
प्रशासन ने कोर्ट का हवाला देते हुए उन्हें अंदर जाने से रोका तो उन्होंने खुद का अभिषेक कर लिया था। मीडिया से बात करते हुए हिमांगी सखी ने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब बाबा हमारे होंगे। मेरी कामना पूरी होगी। एएसआई सर्वे से आदिविश्वेश्वर बाबा सामने आएंगे। कहा कि आज शंखनाद करती हूं कि बाबा मुक्त होंगे। वह दिन नजदीक आ रहा है जब मैं ज्ञानवापी में जाकर अपने आराध्य अर्धनारीश्वर का जलाभिषेक करुंगी। उन्होंने कहा कि अदालत और सरकार पर उन्हें पूरा भरोसा है। मसाजिद कमेटी देखती रह जाएगी। हिमांगी सखी के अलावा कई हिंदूवादी संगठनों के लोग बाहर मौजूद थे। उत्साह का माहौल रहा।
गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में एएसआई सर्वे जारी रखने का आदेश दिया है। साथ ही मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी है। उधर, ज्ञानवापी प्रकरण में हाईकोर्ट का आदेश आते ही राष्ट्रीय हिन्दू दल ने सड़कों पर जश्न मनाना शुरू कर दिया। पटाखे छोड़े गये और ढोल-नगाड़ा बजाने के साथ मिठाईयां बांटी गईं। हिंदू पक्ष के अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी ने अदालत ने निर्णय का स्वागत किया। कहाकि अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी अब सुप्रीम कोर्ट जा सकती है, लेकिन वहां भी उनकी दलीलें काम नहीं आएंगी। ज्ञानवापी में मौजूद साक्ष्य स्वत : गवाही दे रहे हैं कि मंदिर को तोड़कर उसके ढांचे पर मस्जिद बनाई गई है।
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