वाराणसी में ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के लिए जल्द डेसीबल मीटर से लैस हो सकते हैं सभी थाने और चौकियां
वाराणसी। शहर में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण की दिशा में कार्यरत राष्ट्रीय संस्था ‘सत्या फाउण्डेशन’ ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए वाराणसी पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल को ज्ञापन सौंपा। संस्था ने माँग की कि जिले के सभी थानों और पुलिस चौकियों को डेसीबल मीटर उपलब्ध कराया जाए, जिससे ध्वनि प्रदूषण के मामलों में प्रभावी और सटीक कार्रवाई संभव हो सके। चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में चेतन उपाध्याय, हरविंदर सिंह आनंद, संदीप सिंह और जसबीर सिंह बग्गा ने पुलिस आयुक्त से मुलाकात की। इस दौरान संस्था के संस्थापक सचिव चेतन उपाध्याय ने कहा कि यदि प्रत्येक थाना और चौकी को डेसीबल मीटर उपलब्ध हो जाते हैं, तो वाराणसी प्रदेश का पहला जिला होगा जो इस दिशा में तकनीकी रूप से पूरी तरह सशक्त होगा।
क्यों जरूरी है डेसीबल मीटर?
प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि भारत सरकार के ध्वनि प्रदूषण (विनियमन एवं नियंत्रण) नियम–2000, जिसे पर्यावरण संरक्षण अधिनियम–1986 के साथ पढ़ा जाता है, के अनुसार रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक किसी भी प्रकार का साउंड सिस्टम पूरी तरह प्रतिबंधित है। इस अवधि में आवाज़ न चलाने का नियम स्पष्ट है, इसलिए कार्रवाई के लिए डेसीबल मीटर की आवश्यकता नहीं पड़ती। लेकिन दिन के समय भी ध्वनि के लिए डेसीबल सीमा तय है। तेज आवाज़ के कारण लोगों को मानसिक तनाव, बुजुर्गों को स्वास्थ्य समस्याएँ, कंपन से दीवारें क्षतिग्रस्त होने जैसी गंभीर दिक्कतें सामने आती हैं।
अभी पुलिस शिकायत मिलने पर मौके पर जाती तो है, लेकिन डेसीबल मीटर न होने से कानूनी कार्रवाई कई बार साक्ष्य के अभाव में अटक जाती है। इसलिए हर थाने और चौकी के पास यह उपकरण होना अत्यंत आवश्यक है।
प्रतिनिधिमंडल ने रखीं अन्य महत्वपूर्ण माँगें
रात 10 बजे के बाद स्वतः कार्रवाई (Suo Motu Action) का मांग। कई स्थानों पर पुलिस द्वारा साउंड बंद कराने के बाद कुछ प्रभावशाली लोग पुनः ध्वनि प्रदूषण शुरू कर देते हैं। इससे कानून व्यवस्था को चुनौती मिलती है, पुलिस का इकबाल कमजोर होता है। इसलिए माँग की गई कि इलाकेवार पुलिस टीम गठित की जाए, रात 10 बजे के बाद स्वतः संज्ञान (Suo Motu) लेते हुए साउंड सिस्टम जब्त किया जाए और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम–1986 के तहत मुकदमा दर्ज किया जाए।
“एक दिन की बात है” तर्क पर रोक
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि शादी–विवाह या धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजक दिन की सीमा या रात की समय सीमा का उल्लंघन करते हैं और इसे “एक दिन का कार्यक्रम” कहकर उचित ठहराते हैं। कुछ मामलों में पुलिसकर्मी भी “धीमी आवाज़” में साउंड चलाने की मौखिक अनुमति दे देते हैं, जिससे आसपास की जनता परेशानी झेलती है।
संस्था ने मांग की कि 112 पुलिस और सभी थानों को लिखित निर्देश दिए जाएँ कि रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक किसी भी परिस्थिति में साउंड 100% बंद करवाना अनिवार्य है। आदेश का उल्लंघन कराने वालों पर विभागीय कार्रवाई हो।

पुलिस आयुक्त ने आश्वासन दिया
पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने प्रतिनिधिमंडल की सभी मांगों को गंभीरता से सुना और कहा कि इस दिशा में उचित कार्रवाई की जाएगी। सत्या फाउंडेशन के सदस्यों का कहना है कि यदि वाराणसी में यह व्यवस्था लागू हो जाती है, तो ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए यह एक मॉडल जिला बन सकता है।

