अक्षय तृतीया : साल में एक दिन होता है मां मणिकर्णिका का दर्शन, कुंड में डुबकी लगाने की है अनोखी मान्यता
Updated: Apr 20, 2023, 22:27 IST

वाराणसी: धर्म की नगरी काशी (Kashi) में अनेकों परंपराएं हैं, जिसे सैकड़ों वर्ष से निर्वाहीत किया जा रहा है। ऐसी ही एक परंपरा वाराणसी (Varanasi) के प्रसिद्ध मणिकर्णिका घाट (Marnkanika Ghat) की है, जहां स्थित मणिकर्णिका कुंड में अक्षय तृतीया के दिन मां मणिकर्णिका के दर्शन पूजन किया जाता है। अक्षय तृतीया (Akshy Tritiya) के एक दिन पश्चात पुष्करिणी कुंड (Kund) में आस्था की डुबकी लगाने वालों का कभी क्षय नहीं होता है। इस परंपरा को निर्वाचित करने और मान्यता को देखते हुए हजारों की संख्या में प्रतिवर्ष श्रद्धालु मणिकर्णिका घाट पर स्थित मणिकर्णिका कुंड में आस्था की डुबकी लगाते हैं।

पंडित जगन्नाथ दुबे ने बताया कि अक्षय तृतीया के दिन मां मणिकर्णिका की प्रतिमा कुंड के पास लाया जाता है और श्रद्धालुओं को वर्ष में 1 दिन माता का दर्शन प्राप्त होता है। इस वर्ष 23 अप्रैल को अक्षय तृतीया का पर्व है और 24 अप्रैल को स्नान है। मान्यता है कि अक्षय तृतीया के एक दिन बाद में पुष्करिणी कुंड में स्नान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और जो श्रद्धालु कुंड में स्नान करता है उसका कभी क्षय नही होता है। पुष्करिणी कुंड भगवान विष्णु के चक्र द्वारा बना है। मणिकार्णिका कुंड पर मां मणिकर्णिका अक्षय तृतीया के दिन विराजमान होती है। इस बार मणिकर्णिका घाट स्थित पुष्करिणी कुंड पर मां मणिकर्णिका का वार्षिक श्रृंगार अक्षय तृतीया के पर्व के अवसर पर रविवार की रात्रि 9 बजे होगी। वही सोमवार की सुबह से पुष्करिणी कुंड में स्नान की परंपरा का निर्वाहन किया जाएगा।



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