अक्षय तृतीया 2025: विष्णु-लक्ष्मी पूजन और तुलसी अर्चना से मिलेगा सुख-संपत्ति का आशीर्वाद, जानिए क्या है मान्यता

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वाराणसी। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ने वाली अक्षय तृतीया हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ और पुण्यकारी मानी जाती है। इस वर्ष अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन विशेष फलदायी होता है। पवित्र अवसर पर दान-पुण्य का भी अत्यंत महत्व है, जिसे जीवन में सुख-समृद्धि लाने वाला माना जाता है।

इस दिन श्रद्धालु भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को सत्तू, खीर, हलवा, ऋतु फल, चने की दाल और विविध प्रकार की मिठाइयां अर्पित करते हैं। अक्षय तृतीया पर दान का भी विशेष पुण्य बताया गया है। मान्यता है कि इस दिन अपनी क्षमता के अनुसार वस्त्र, अन्न या अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान करने से अकूत पुण्य की प्राप्ति होती है। सोना खरीदने की परंपरा भी जुड़ी है, हालांकि विद्वानों के अनुसार यह आवश्यक नहीं है। यदि सामर्थ्य हो तो सोने-चांदी के आभूषण खरीदे जा सकते हैं, परंतु इसका मुख्य उद्देश्य पुण्य अर्जन और दान का भाव है।

vinay pandey

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के प्रोफेसर विनय कुमार पांडे के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन किया गया दान विशेष पुण्यफलदायक होता है। प्रोफेसर पांडे का कहना है कि शास्त्रों में कहीं भी सोना-चांदी खरीदने की अनिवार्यता नहीं लिखी गई है। मुख्य रूप से इस दिन धर्म, दान और भक्ति भाव से किए गए कार्यों को अक्षय फल प्रदान करने वाला कहा गया है।

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अक्षय तृतीया के दिन तुलसी पूजन का भी विशेष महत्व है। मां तुलसी, जिन्हें वृंदा भी कहा जाता है, उन्हें माता लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है और वे भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय हैं। इस अवसर पर सुबह स्नान कर लाल वस्त्र धारण करना, घर के मंदिर की स्वच्छता कर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमाएं स्थापित कर विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए। पूजा के दौरान गंगाजल से स्नान कराना, रोली, चंदन, अक्षत, पुष्प, धूप और दीप अर्पित करना अनिवार्य माना गया है।

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इसके अलावा, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ तथा मंत्र जप करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है। पूजा के अंत में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को खीर का भोग लगाना शुभ माना गया है। तुलसी के पत्ते अर्पित कर पूजा पूर्ण करने से जीवन में संतुलन, सुख और ऐश्वर्य का आगमन होता है। कुल मिलाकर, अक्षय तृतीया भक्ति, दान और पुण्य का अद्भुत संगम है, जो श्रद्धालुओं के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का संचार करता है।
 

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