मकर संक्रांति से पहले वाराणसी में फिर मंडराने लगा चाइनीज़ मांझे का जानलेवा खतरा, अवैध कारोबार पर ठोस कार्रवाई जरूरी

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वाराणसी। पतंगबाजी की परंपरागत उमंग और उल्लास के बीच वाराणसी में एक गंभीर और घातक खतरा सिर उठाता नजर आ रहा है। 14 जनवरी 2026 को मकर संक्रांति के पर्व से पहले शहर में पतंग उड़ाने की तैयारियां जोरों पर हैं, लेकिन इसी के साथ प्रतिबंधित और खतरनाक चाइना मांझा का अवैध कारोबार एक बड़ी सामाजिक समस्या बनकर सामने आ रहा है। स्थानीय लोगों और प्रशासनिक सूत्रों का दावा है कि बीते कुछ वर्षों में यह तेज धार वाला धागा सड़क दुर्घटनाओं, गंभीर चोटों और यहां तक कि मौतों का कारण भी बन चुका है।

क्या है चाइना मांझा और क्यों है खतरनाक
पतंग उड़ाने में इस्तेमाल होने वाला चाइना मांझा सामान्य सूती धागे की तुलना में कहीं अधिक पतला, मजबूत और तेज धार वाला होता है। पतंग काटने में यह अत्यंत प्रभावी माना जाता है, लेकिन यही विशेषता इसे बेहद खतरनाक भी बना देती है। खासकर दोपहिया वाहन चालकों के लिए यह मांझा जानलेवा साबित हो रहा है। सड़क पर चलते समय दृश्यता के अभाव में यह धागा बाइक या स्कूटर सवारों की गर्दन, आंख या चेहरे में उलझकर गंभीर दुर्घटना का कारण बन जाता है।

पक्षियों के लिए भी बना मौत का फंदा
चाइना मांझा सिर्फ इंसानों के लिए ही नहीं, बल्कि पक्षियों के लिए भी घातक है। उड़ान भरते समय पक्षी अक्सर इस धागे की चपेट में आ जाते हैं, जिससे उनके पंख कट जाते हैं या वे गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं। कई मामलों में पक्षियों की मौत तक हो चुकी है, जिससे पर्यावरण प्रेमियों और समाजसेवियों में भी गहरी चिंता है।

इन इलाकों में फल-फूल रहा अवैध कारोबार
स्थानीय सूत्रों के अनुसार वाराणसी के कई इलाकों में पतंग की आड़ में चाइना मांझा का अवैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। दालमंडी, औरंगाबाद और जमुना टॉकीज के आसपास के क्षेत्रों में दुकानदार पतंग, डोर और अन्य सामान के साथ छुपकर इस खतरनाक मांझे की बिक्री कर रहे हैं। लोगों का आरोप है कि प्रतिबंध के बावजूद कई व्यापारी इसे खुलेआम बेचने से नहीं हिचकते।

प्रशासन के दावे और जमीनी हकीकत
वाराणसी प्रशासन और पुलिस का कहना है कि चाइना मांझा बेचने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। पुलिस के अनुसार समय-समय पर छापेमारी और जब्ती की कार्रवाई होती है। हालांकि, स्थानीय नागरिकों का मानना है कि ये कदम नाकाफी हैं और अधिकतर कार्रवाई सिर्फ औपचारिकता बनकर रह जाती है। लोगों का आरोप है कि बिक्री रोकने के लिए ठोस और लगातार प्रयास नहीं किए जा रहे।

नागरिकों की चिंता और नाराज़गी
स्थानीय निवासियों का कहना है कि प्रशासन की ओर से बार-बार अभियान चलाने के दावे किए जाते हैं, लेकिन जमीन पर उसके ठोस नतीजे नजर नहीं आते। उनका आरोप है कि अगर समय रहते सख्ती बरती जाती, तो कई हादसों को रोका जा सकता था। नागरिकों का यह भी कहना है कि प्रभावी पाबंदी और सख्त निगरानी के अभाव में यह अवैध कारोबार हर साल फिर से सिर उठा लेता है।

मकर संक्रांति से पहले सख्ती की मांग
समाजसेवियों और चिंतित नागरिकों का मानना है कि मकर संक्रांति से लगभग दस दिन पहले ही अगर प्रशासन कड़ी निगरानी और सख्त कार्रवाई शुरू कर दे, तो बड़े हादसों को रोका जा सकता है। लोगों का कहना है कि यह समय बेहद अहम है और अभी की गई सख्ती कई जिंदगियां बचा सकती है।

प्रशासन, पुलिस और समाज को मिलकर करना होगा प्रयास
पतंगबाजी का यह पारंपरिक शौक किसी के लिए जानलेवा न बने, इसके लिए प्रशासन, पुलिस और समाज तीनों को मिलकर जिम्मेदारी निभानी होगी। अवैध कारोबार पर प्रभावी नियंत्रण, जनजागरूकता और सख्त कानून व्यवस्था के बिना इस खतरे से निपटना मुश्किल है। मकर संक्रांति से पहले की यह चेतावनी अगर अनसुनी रही, तो किसी भी अनहोनी की जिम्मेदारी लापरवाही पर ही आएगी।

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