काशी में तैयार रामलला की भव्य प्रतिमा नीदरलैंड में होगी स्थापित, विदेशी भक्तों को मिलेगा दर्शन  

रामलला
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वाराणसी। प्रभु श्रीराम नीदरलैंड में भक्तों को दर्शन देंगे। काशी में तैयार रामलला की ब्लैक ग्रेनाइट की लगभग 6 फीट ऊंची भव्य प्रतिमा वहां स्थापित होगी। यह अयोध्या में स्थापित भगवान श्रीराम की रेप्लिका (प्रतिरूप) है। यह प्रतिमा वाराणसी से अयोध्या जाएगी। वहां से विशेष पूजा के बाद इसे नीदरलैंड भेजा जाएगा। वहां भगवान राम की इस प्रतिमा को हनुमान मंदिर में स्थापित किया जाएगा। ऐसी ही कई मूर्तियां तैयार कर यूरोप के कई देशों के मंदिरों में स्थापित करने की योजना है। 

अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर निर्माण से देश ही नहीं, बल्कि विदेश में भी सनातन संस्कृति को मानने वालों में खुशी का माहौल है। अब इंटरनल ब्लिस फाउंडेशन अन्य फाउंडेशन की मदद से यूरोप के सभी देशों में रामलला की मूर्ति स्थापित करने की योजना बना रहा है। इसकी शुरुआत नीदरलैंड से की जा रही है। वहां हनुमान जी के मंदिर में रामलला की मूर्ति स्थापित की जाएगी। संस्था के संस्थापक स्वामी अखंड सम्राट आनंद महाराज 22 जनवरी को अयोध्या आए और अब वापस जा रहे हैं। उनकी योजना है कि सनातन को वहां तक पहुंचाया जाए और जगह-जगह पर मंदिर बनें। उन्होंने बताया कि जर्मनी, बेल्जियम, रोम, फ्रांस के साथ ही पेरिस में भी बातचीत चल रही है। आने वाले समय में यूरोप कई देशों में रामलला के मंदिर की स्थापना हो सकती है। 

फाउंडेशन की मदद से नीदरलैंड में बन रहा मंदिर 
स्वामी अखंड सम्राट आनंद महाराज ने बताया कि रामलला हर जगह मौजूद हैं। जो भारतीय बाहर विदेश में रहते हैं, जो बार-बार यहां आ नहीं पाते हैं, वहां पर वे लोग रामलला के दर्शन कर सकेंगे। इन देशों में मेडिटेशन और यज्ञ सेंटर भी बनेगा। बताया कि नीदरलैंड में बनने वाले मंदिर की स्थापना सिद्धि साईं बाबा फाउंडेशन के साथ मिलकर की जा रही है। 

फ्लाइट से भेजी जाएगी मूर्ति 
स्वामी अखंड सम्राट आनंद महाराज ने बताया कि रामलला की प्रतिमा फ्लाइट से सीधे नीदरलैंड भेजी जाएगी। काशी से प्रतिमा अयोध्या जाएगी। वहां प्रतिमा की विधिविधान से पूजा की जाएगी। इसके बाद फ्लाइट से सीधे नीदरलैंड भेजा जाएगा। रामलला की मूर्ति बनाने वाले कन्हैया लाल शर्मा बताते हैं कि यह 5 फिट 7 इंच की मूर्ति है, जो मूर्ति रामलला की अयोध्या में स्थापित है उसी मूर्ति की नकल या प्रतिरूप है। इसे बनाने में दो महीने लगे। इसे काले संगमरमर पर बनाया गया है।

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