निवेश के नाम पर करोड़ों की साइबर धोखाधड़ी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़, गैंग के सरगना समेत 4 शातिर गिरफ्तार, अपराध का तरीका जान रह जाएंगे दंग

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वाराणसी। कमिश्नरेट के साइबर क्राइम थाना पुलिस ने निवेश के नाम पर लाखों की ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने इंटरस्टेट गिरोह के सरगना समेत चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है। साथ ही उनके पास से पुलिस ने डेबिट कार्ड, चेकबुक समेत, QR कोड, सिम कार्ड, मोबाइल फ़ोन समेत 30 हजार नगदी बरामद किया है। इसका खुलासा डीसीपी प्रमोद कुमार ने बुधवार को किया। 

इस मामले में वादी अजय कुमार श्रीवास्तव, ने 8 अगस्त 2024 को शिकायत दर्ज करवाई थी कि साइबर अपराधियों ने BRP देसाई नामक व्हाट्सएप नंबर के माध्यम से संपर्क किया और उन्हें संस्थागत निवेश प्राधिकरण का हिस्सा बताकर शेयर बाजार में निवेश का झांसा दिया। इसके लिए उन्होंने https://www.brp-fund.com और https://brp-fund.vip नामक वेबसाइटों का इस्तेमाल करते हुए 27,25,000 रुपये की ठगी की। इस मामले में पुलिस ने मुकदमा संख्या 85/2024 के तहत आईटी एक्ट की धारा 318(4) बी.एन.एस. और 66 डी के तहत मामला दर्ज किया।

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पुलिस ने विवेचना के दौरान वेबसाइट, टेलीग्राम खातों, मोबाइल नंबरों, और बैंक खातों का गहन विश्लेषण किया। इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस और डिजिटल फूटप्रिंट्स के आधार पर, राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के सूरतगढ़ से गिरोह के सरगना सहित चार अपराधियों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने उनके कब्जे से मोबाइल फोन, एटीएम कार्ड, चेकबुक, सिम कार्ड, और 30,000 रुपये नकद बरामद किए।

गिरफ्तार आरोपियों में  प्रिंस खोड (उम्र 20 वर्ष) हनुमानगढ़, राजस्थान, आशीष विश्नोई (उम्र 23 वर्ष) श्रीगंगानगर, राजस्थान (अंतर्राष्ट्रीय हैकर), हरीश उर्फ हरीश विश्नोई (उम्र 21 वर्ष) बीकानेर, राजस्थान, मनदीप सिंह (उम्र 26 वर्ष) श्रीगंगानगर, राजस्थान के रहने वाले हैं। इनमें आशीष गैंग का सरगना है। इन सभी के पास से एक डेबिट कार्ड, एक चेकबुक, एक क्यूआर कोड, तीन सिम कार्ड, छ: मोबाइल फोन व 30 हजार रुपए नगद बरामद किया है।

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अपराध करने का तरीका:

गिरफ्तार अपराधियों ने ब्रांडेड कंपनियों की ओरिजिनल वेबसाइट से मिलती-जुलती फर्जी वेबसाइट बनाई। फिर, बल्क एसएमएस फीचर का उपयोग करके हजारों लोगों को पार्ट-टाइम जॉब और निवेश में अच्छे लाभ का प्रलोभन दिया गया। जब लोग इनके झांसे में आते थे, तो उन्हें छोटे-छोटे निवेश से धन कमाने का लालच दिया जाता था। इसके बाद उन्हें टेलीग्राम ग्रुप में जोड़ा जाता, जहां बड़े लाभ के स्क्रीनशॉट्स दिखाए जाते थे। इसके बाद लोगों से बड़ी धनराशि का निवेश कराया जाता, लेकिन जब वे अपना पैसा निकालने की कोशिश करते थे, तो वे असफल होते थे क्योंकि यह धन केवल दिखावे के लिए था। इस धोखाधड़ी को अपराधियों ने वर्चुअल मशीन और विदेशों के आईपी एड्रेस के माध्यम से अंजाम दिया ताकि उनकी पहचान छुपी रहे।

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पुलिस टीम का विवरण:

इस सराहनीय कार्य को अंजाम देने वाली पुलिस टीम में साइबर क्राइम थाना कमिश्नरेट वाराणसी के प्रभारी निरीक्षक विजय नारायण मिश्र, निरीक्षक राकेश कुमार गौतम, निरीक्षक राज किशोर पाण्डेय, निरीक्षक अनीता सिंह, निरीक्षक नीलम सिंह, उप-निरीक्षक संजीव कुमार कन्नौजिया और अन्य सदस्य शामिल रहे।

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