वाराणसी मंडल के कमिश्नर दीपक अग्रवाल केंद्र सरकार में बनाये गये ज्वांइट सेक्रेटरी, पढ़िए इनके प्रशासनिक करियर का शानदार सफर
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) के संसदीय क्षेत्र सहित पांच जिलों के वाराणसी मंडल के कमिश्नर आईएएस अफसर दीपक अग्रवाल (IAS Deepak Agrawal) को केंद्र सरकार में ज्वाइंट सेक्रेटरी के पद पर नियुक्त किया गया है। दीपक अग्रवाल 2000 बैच के आईएएस अफसर (IAS Officer) हैं और योगी सरकार ने 17 मार्च 2018 को इन्हें वाराणसी मंडल की कमान सौंपी थी। वाराणसी मंडल में लंबा और शानदार कार्यकाल निभाने के बाद अब दीपक अग्रवाल को केंद्र सरकार के आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय में ज्वाइंट सेक्रेटरी के पद पर नियुक्त किया गया है। इनकी नियुक्ति पांच वर्ष के लिए की गयी है।
कंट्रोवर्सी से दूर रहने वाले अफसर
बता दें कि वाराणसी मंडल के निवर्तमान मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल की गिनती एक काबिल आईएएस अफसर के रूप में की जाती है। तमाम तरह की कंट्रोवर्सी से दूर रहकर सुलझी हुई कार्यशैली वाले दीपक अग्रवाल दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से साइंस ग्रेजुएट हैं। इसके अलावा उन्होंने अमेरिका के करनेगी मेलो यूनिवर्सिटी से मास्टर्स इन साइंस, पब्लिक पालिसी एंड मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएशन भी किया है।
मेरठ में मिली थी पहली पोस्टिंग
वाराणसी मंडल के कमिश्नर बनने से पहले दीपक अग्रवाल सहारनपुर के मंडलायुक्त रह चुके हैं। मूल रूप से धनबाद (झारखंड) निवासी दीपक अग्रवाल का जन्म 10 अक्टूबर 1974 को समृद्ध मारवाड़ी परिवार में हुआ। उन्होने शुरू से ही सिविल सर्विस में जाने का मन बना लिया था। हिन्दी और अंग्रेजी भाषा की अच्छी समझ रखने वाले दीपक अग्रवाल सन 2000 में आईएएस अफसर बने। इसके बाद उन्हें पहली पोस्टिंग मेरठ में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट पद पर मिली। उनके कार्यकाल को देखते हुए बाद में उन्हें सीडीओ गाजियाबाद के पद पर नियुक्त किया गया। 2005 में उन्हे महाराजगंज का डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट बनाया गया। इसके बाद लगातार उन्हे प्रदेश के कई महत्त्वपूर्ण जिलों की कमान सौंपी गयी। इनमे गाजियाबाद, सीतापुर, मुरादाबाद, फैजाबाद के साथ ही नोएडा (गौतमबुद्ध नगर) का भी जिलाधिकारी उन्हें बनाया गया। दीपक अग्रवाल ने हर पद पर अपनी जिम्मेदारी बेहतरीन तरीके से निभाई।
जब पैरों में लगी थी गोली
2009 से 2013 तक गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) के जिलाधिकारी रहने के दौरान दीपक अग्रवाल एक साहसी अधिकारी के तौर पर पहचाने गये। उस दौरान भट्टा परसौल में हुए किसान आंदोलन के दौरान झड़प में दीपक अग्रवाल के पैर में गोली भी लगी। दीपक अग्रवाल ने खनन माफियाओं के खिलाफ भी लंबी प्रशासनिक लड़ाई लड़ी है। इसके बाद दीपक अग्रवाल यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी के चीफ एक्जीक्यूटिव आफिसर भी बनाए गए। इसी दौरान उन्हें करीब एक वर्ष के लिए केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर केंद्रिय राज्य मंत्री ( मानव संसाधन विकास) महेंद्र नाथ पांडेय का प्राइवेट सेक्रेटरी भी बनाया गया। वहां से लौटने के बाद उन्हें पुनः राज्य सरकार ने जिलों में महत्वपूर्ण कार्यभार सौंपा।
वाराणसी में भी शानदार रहा सफर
मार्च 2018 में उन्हे राज्य के सबसे महत्वपूर्ण डिविजनों में एक वाराणसी डिविजन का कमिश्नर बनाया गया। इनकी नियुक्ति के समय वाराणसी में कई चुनौतियां थीं, जिसमें केंद्र और राज्य की योजनाओं को तय समय में पूरी गुणवत्ता के साथ लागू करवाने से लेकर बनारस के ट्रैफिक की समस्या, वरूणा कारिडोर का मामला और सबसे प्रमुख चुनौती काशी विश्वनाथ मंदिर के विस्तारीकरण की योजना को सुचारू बनाए रखना था। दीपक अग्रवाल ने अपने करीब चार साल से ज्यादा के कार्यकाल में शानदार गवर्नेंस और बेहतर कार्यकुशलता का परिचय दिया। देश के सबसे हाईप्रोफाइल संसदीय क्षेत्र में दीपक अग्रवाल अपनी जवाबदेह कार्यशैली की छाप छोड़ चुके हैं। चाहे वाराणसी सहित पूर्वांचल के किसानों की फसलों को अंतरराष्ट्रीय बाजार उपलब्ध कराना हो या तय समय में भव्य काशी विश्वनाथ धाम बनाने की चुनौती, दीपक अग्रवाल ने वाराणसी में अपने कार्यकाल के दौरान बेहतरीन ढंग से प्रशासनिक दायित्वों का निर्वहन किया। कोरोना काल में भी काशी सहित पांच जनपदों की कमान संभालने वाले दीपक अग्रवाल अब केंद्र सरकार में सीनियर लेवल के अधिकारी पद पर अपनी सेवाएं देंगे।


