रुद्राक्ष में बही स्वरलहरियां, पंकज उधास की मखमली आवाज के मोहपाश में बंधे रहे बनारसी 

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वाराणसी। कहते हैं रूमानी और रूहानी सफर अगर किसी को जिंदगी में करना है तो उसे गजल सुननी चाहिए। शायद इस बात का एहसास भी लोगों को है। ऐसा ही एक नजारा रविवार को ढलती हुई रात में रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में दिखाई दिया, जब वहां बैठे बुजुर्ग भी जवां हो बैठे और जवान खुद को गजल की गहराइयों में डुबो बैठे। मौका था अग्रवाल महासभा चैरीटेबल ट्रस्ट की शाम-ए-बनारस की उस निशा का जिसमें गजल सम्राट पंकज उधास ने अपनी मखमली आवाज से श्रोताओं को बांध सा दिया था। 

प्यार, मोहब्बत, इश्क, बेवफाई का रूहानी और रूमानी संगमा जब पंकज उधास के स्वर से हुआ तो मानों रुद्राक्ष के हाल में ठंडी हवा का झोका सा चल उठा जिसमे क्या बुजुर्ग क्या नौजवान सभी देर रात तक बिना थके बहते रहे। 

रात 8 बजे के बाद पंकज उधास जब मंच पर पहुंचे तो जवां दिलों से ज्यादा बुजुर्गों का दिल मचल उठा। खचाखच भरा हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा। पंकज उधास ने हारमोनियम पकड़ा और मीराबाई के भजन से अपने लबों को आवाज दी 'पायो जी मैंने राम रतन धन पायो... तो एक बार ऐसा लगा जैसे मीराबाई हाल में एकतारा लिए कहीं भजन पर थिरक रहीं हैं। इसके बाद पंकज उधास ने 'न फूल चढ़ाऊं न माला चढ़ाऊं, ये गीतों की गंगा मैं तुझको चढ़ाऊं...' सुनाया तो रुद्राक्ष में महफिल जवान हो गयी। 

बुजुर्गों के चेहरे पर मुस्कान और धीरी तालियों के बीच जवां मर्द वन्स मोर की भी आवाज लगाते सुनाई दिए। जवां होती रात में पंकज उधास ने गया 'आप जिनके करीब होते हैं, वो बड़े खुशनसीब होते हैं...' तो महफिल धीरे-धीरे परवान चढ़ने लगी। पब्लिक को जिस गजल का इंतजार था उसके आते ही मानों सबकी रगों का खून हिलोरें मारने लगा और लोग झूम उठे, जैसे ही पंकज उधास ने शुरू किया 'चिट्ठी आई है आई है चिठ्ठी आई है।' इसके बाद  चांदी जैसा रंग है तेरा, सोने जैसे बाल...' पर तो लोग खुद को झूमने से नहीं रोक सके। इसके बाद 'मोहे आई ना जग से लाज मैं ऐसा जोर के नाची आज कि घुंघरू टूट गए, जिएं तो जिएं कैसे बिन आपके...' पर भी श्रोताओं की तालियां एवं हर-हर महादेव के जयघोष रुद्राक्ष के हाल में गूंजता रहा। 

रुद्राक्ष के बाहर भी सैकड़ों की संख्या में उपस्थित लोगों ने एलईडी स्क्रीन पर कार्यक्रम का लाइव लुत्फ उठाया। अंत में संस्था के सदस्यों ने उन्हें अंगवस्त्र एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया। इसके पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ पद्मश्री पंकज उधास ने महाराज अग्रसेन की मूर्ति पर माल्यार्पण के साथ किया। स्वागत संतोष कुमार अग्रवाल, संचालन डॉ. राजेश अग्रवाल एवं डॉ रचना अग्रवाल ने किया। संयोजन नीरज अग्रवाल और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. मधु अग्रवाल ने किया। इस दौरान श्री काशी अग्रवाल समाज (पीली पर्ची) के सदस्य, मारवाड़ी समाज, भारत विकास परिषद, लायंस क्लब, रोटरी क्लब के पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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