अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस 2022 : मां के सपोर्ट ने बनाया डिप्टी कलेक्टर, आज वाराणसी में ACM फोर्थ के पद पर तैनात हैं अंशिका दीक्षित
रिपोर्ट : नोमेश कुलदीप
वाराणसी। दुनिया आज महिला सशक्तिकरण की दिशा में निरंतर आगे बढ़ रही है। साथ ही महिलाओं को लेकर पुरुषों की सोच भी धीरे धीरे ही सही मगर सकारात्मक दिशा में बदलने लगी है। आज तमाम महिलाएं परिवार की जिम्मेदारियों को निभाने के साथ ही सार्वजनिक जीवन में भी किसी से कमतर नहीं हैं। बात चाहे राजनीति की हो, कला, खेल, सेना, शिक्षा और प्रशासन की, महिलाएं हर जगह अपनी अहम भूमिका निभा रही हैं यहां तक कि उनकी कार्यक्षमता को देखते हुए पुरुष भी उनसे प्रेरित हो रहे हैं। ऐसे में Live VNS ने वाराणसी की तेज़-तर्रार कार्यप्रणाली वाली और बातचीत में मृदुभाषी पीसीएस अफसर अंशिका दीक्षित से विशेष बातचीत की। अंशिका वर्तमान में वाराणसी में ACM फोर्थ के पद पर तैनात हैं। पेश है उस बातचीत के ख़ास अंश...
हमें चाहिए बस एक मौक़ा
'महिला दिवस कोई एक दिन मनाने की चीज़ नहीं है और अब न महिलाओं को किसी बूस्ट की ज़रुरत है। महिलाएं सशक्त हैं और उन्हें बस एक मौके की ज़रुरत है। उन्हें मौक़ा मिला तो वो समाज कल्याण के लिए कंधे से कंधा मिलकार कार्य करने को तैयार हैं। ये कहना है एसीएम फोर्थ अंशिका दीक्षित का। उन्होंने कहा कि महिलाओं को बस मौक़ा चाहिए।
मां के सपोर्ट ने बनाया डिप्टी कलेक्टर
अंशिका मूल रूप से फतेहपुर जनपद की रहने वाली हैं। अंशिका के पिता अरुण कुमार दीक्षित आगरा में एडीएम पद से सेवानिवृत्त हुए और मां ऋतु ग्रहणी हैं। अंशिका का कहना है कि प्रशासनिक सेवा में आने के लिए उन्हें उनके पिता के अनुभवों का लाभ मिला पर अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां को देती हैं। अंशिका के अनुसार आज वह जिस मुकाम पर हैं, अपनी मां की बदौलत हैं। परिवार में उनके अलावा एक छोटी बहन भी है और दोनों में आत्मविश्वास का जज्बा भरने का काम हमेशा से उनकी मां ने ही किया है। अंशिका कहती हैं कि सिविल सर्विसेज की तैयारी में कई ऐसे भी अवसर आते हैं जब मनोबल डाउन हो जाता है, पर उनकी मां ने ऐसे अहम मौके पर उनका साथ दिया और उसी का नतीजा है कि आज वह इस मुकाम पर हैं।
आर्थिक रूप से मजबूत बनने की करें कोशिश
राष्ट्रीय महिला दिवस पर देश की सभी महिलाओं को शुभकामना देते हुए अंशिका दीक्षित ने जोर देते हुए कहा कि महिलाओं को खुद को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की कोशिश सबसे पहले करनी चाहिए। अगर आप आत्मनिर्भर होकर अपनी वित्तीय जरूरतों को खुद के जरिए पूरा करने में सक्षम हैं, तो निश्चित ही समाज के कई बंधन और अवरोध खत्म हो जाते हैं।
परिजनों का सपोर्ट बहुत जरूरी
अंशिका के अनुसार महिलाओं के सामने यह सबसे बड़ा चैलेंज होता है कि वह अपने परिवार और अपने नौकरी के बीच सामंजस्य बैठाकर चलें। ऐसे में परिवार में मौजूद सदस्यों की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वह भी खुले दिल से नौकरीपेशा महिला सदस्य का हर तरीके से सपोर्ट व सहयोग करें। किसी भी घर परिवार की महिला हर उस काम को कर सकती है, जिस काम पर आज भी पुरुषों का वर्चस्व है। बस जरूरत है उसे सकारात्मक सहयोग और पारिवारिक और सामाजिक सपोर्ट की परिस्थितियां अब बदल रही हैं और आधी आबादी तमाम ऐसे कामों में भी महारत हासिल कर रही है, जिनपर कभी पुरुषों का ही वर्चस्व रहा है।

