BHU : भारत कला भवन में लगी भगवान शिव के विविध स्वरूपों की प्रदर्शनी, शिवमय हुआ माहौल
वाराणसी। बीएचयू स्थित भारत कला भवन का केंद्रीय कक्ष सोमवार को शिवमय हो गया। मौका था कला भवन की उपनिदेशक डॉ जसमिंदर कौर की देखरेख में भगवान शिव के विविध स्वरूप की लगायी गयी प्रदर्शनी का, जिसका उद्घाटन रेक्टर प्रो वीके शुक्ल ने किया। प्रदर्शनी के दौरान राजघाट और अहिछत्रपुर से खोदाई में मिले भगवान शिव के चौथी सदी ईसापूर्व से लेकर 18वीं सदी ईसापूर्व तक की मूर्तियों के साथ अलग अलग मुद्राओं के चित्र भी प्रदर्शित किए गए हैं। युवाओं के समूह इन चित्रों और मूर्तियों को मंत्रमुग्ध होकर देखते रहे।
भगवान शिव उनके विविध रूप तैतीस करोड़ देवताओं में शिव ही एकमात्र निराकार - निर्गुण देव के रूप में माने जाते हैं। वे समस्त ज्ञान के प्रतीक हैं। उनका स्वरूप जितना विचित्र है। उतना ही आकर्षक भी शिव जो धारण करते हैं उनके बड़े व्यापक अर्थ हैं। शिव की जटाएं अंतरिक्ष का प्रतीक हैं। चंद्रमा मन का प्रतीक है। शिव की तीन आखें हैं, जो सत्व, रज, तम ( गुणों तीन ) के प्रतीक हैं। सर्प तमोगुणी व संहारक जीव है, जिसे शिव ने अपने वश में कर रखा है। इसी को दर्शाती एक प्रदर्शनी भारत कला भवन में लगायी गयी।
कला भवन की उपनिदेशक डॉ जसमिंदर कौर ने बताया कि संग्रहालय के केन्द्रीय कक्ष में भगवान शिव के वैविध्य रूपों पर आयोजित प्रदर्शनी अनेक दृष्टि अवलोकनीय है। इस प्रदर्शनी में शिव के विविध रूपों को उनके कथा - संदर्भ के अनुरूप लघु चित्रों, मूर्तियों, मृण्मूर्तियों, सिक्कों, वसनों, अलंकृत शिल्पों के माध्यम से दर्शाने का प्रयास किया गया है जो भारत कला भवन के आरक्षित संग्रह के हैं। अवलोकनीय स्तर की मूर्तियों में लिंग रूप में निर्मित शिव की अनेक मूर्तियों संग्रह में सुरक्षित हैं, जिनमें वाराणसी के राजघाट से प्राप्त एकमुखी शिव लिंग चुनार के बलुआ प्रस्तर से निर्मित है। यहाँ प्रदर्शित शिव के विविध रूपों के लघु चित्र उच्च कोटि के हैं। प्रस्तुत प्रदर्शनी शिव और उनके असंख्य रूपों की एक दुर्लभ झलक प्रदान करती है ।
भारत कला भवन के केन्द्रीय कक्ष में जनावालोकनाथ प्रदर्शित भगवान शिव पर आधारित उक्त रोचक प्रदर्शनी का शुभ उद्घाटन मुख्य अतिथि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के रेक्टर प्रोफ़ेसर बीके शुक्ला ने दीप प्रज्जवलित कर किया। क्रमशः संग्रहालय संकलन के जरिये शिव के विविध स्वरूपों का अवलोकन कर उन्होंने शिव तत्त्व पर प्रकाश डालते हुए शिव की कालातीत प्रकृति, भोलेनाथ और नीलकंठ के रूप एवं उनके उदार स्वभाव पर विचार व्यक्त किया और समाज में कला और संग्रहालयों की प्रासंगिकता एवं उसकी महत भूमिका के बारे में बताया। साथ ही उन्होंने आयोजकों की सराहना की और ऐसे अनेक आयोजन करते रहने हेतु प्रेरित किया।
इस अवसर पर उप निदेशक डॉ जसमिंदर कौर, वित्ताधिकारी अभय ठाकुर, डॉ राधाकृष्ण गणेशन, डॉ अनिल कुमार सिंह, विनोद कुमार, डॉ डी बी सिंह, डॉ प्रियंका चंद्रा, दीपक भरथन आदि अनेक गणमान्य नागरिकों के अतिरिक्त विश्वविद्यालय व भारत कला भवन के विद्यार्थी एवं कर्मचारी काफी संख्या में उपस्थित थे ।
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