गंगा दशहरे पर सदानीरा में स्नान से मिलती है 10 तरह के पापों से मुक्ति, ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-दान का ज्यादा महत्त्व
रिपोर्ट : ओमकारनाथ
वाराणसी। गंगा दशहरा, भारतीय सनातन परम्परा के अनुसार ज्येष्ठ मॉस के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि में जब बुधवार दिन था और हस्त नक्षत्र था तब गंगा का अवतरण हुआ था। इसीलिए प्रति वर्ष ज्येष्ठ मॉस शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है। उक्त बातें काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के प्रोफ़ेसर और पूर्व विभागाध्यक्ष विनय कुमार पांडेय ने बताई। उन्होंने कहा कि गंगा दशहरा पर 10 तरह के जो पाप ऋषि-मुनियों ने बताऐं हैं उनसे गंगा स्नान करके मुक्ति मिलती है।
दशहरा नाम क्यों पड़ा
प्रोफेसर विनय कुमार पांडेय ने बताया कि इस पर्व का नाम गंगा दशहरा इसलिए पड़ा कि हमारे यहां सनातन धर्म में पापों का वर्गीकरण करते हुए ऋषियों ने दस तरह के पाप बताएं हैं। झूठ बोलना, दूर की स्त्री के प्रति कुदृष्टि डालना, दूसरे का द्रव्य (मुद्रा) हरण करना, दुसरे की वृत्ति का हरण करना, किसी को कष्ट देना इत्यादि दस पाप हैं। उन दसों प्रकार के पापों का नाश करने वाली यह तिथि होती है। यह दस तरह के पापों को नष्ट करती है इसलिए इसका नाम गंगा दशहरा है। इसके लिए गंगा स्नान, गंगा पूजन, गंगा दर्शन, गंगा पान, गंगा स्मरण, गंगा का आचमन करना होगा।
सनातन धर्म का बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व
उन्होंने बताया कि यह पर्व सनातन धर्म का बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है क्योंकी वो गंगा जो सनातन धर्म में परम पुरुषार्थ जो मोक्ष होता है उसकी प्राप्ति में सहायक होती है। गंगा उच्चारण मात्र से ही जीवन में मनुष्य भुक्ति और मुक्ति दोनों को ही प्राप्त कर लेता है। वैसे ही गंगा के अवतरण दिवस जो की इस वर्ष 9 जून को पड़ रहा है। सुचितापूर्वक गंगा का स्मरण, ध्यान, स्नान करके पवित्रतापूर्वक सात्विक मन से गंगा का पूजन करें।
ब्रह्म मुहूर्त का स्नान-दान प्रशस्त माना जाता है
उन्होंने बताया कि गंगा दशहरा पर स्नान-दान का कोई समय निर्धारित नहीं है क्योंकि यह तिथि अनुसार चलता है और ब्रह्म मुहूर्त से लेकर सूर्यास्त तक हम सभी को गंगा स्नान, गंगा ध्यान, स्मरण और आचमन कर अपनी पापों की मुक्ति की कामना करनी चाहिए। इसके लिए सबसे उत्तम समय ब्रह्म मुहूर्त है क्योंकि उस समय हमारा मन पवित्र होता है। उन्होंने बताया कि सुबह ज्यादा उत्तम है।

