काशी-तमिल संगमम के द्वितीय संस्करण के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की नौवीं संध्या पर हुई 9 प्रस्तुतियां

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वाराणसी। काशी-तमिल संगमम के द्वितीय संस्करण के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की नौवीं संध्या पर काशी और तमिलनाडु के 9 सांस्कृतिक कार्यक्रम को आयोजित किया गया। दोनों राज्यों के शास्त्रीय और लोक नृत्य, गायन और वाद्य वादन आदि मंच पर प्रस्तुत किए गए। मंगलवार को तमिलनाडु से आए किसानों के डेलीगेशन ने नमो घाट पर तमिलनाडु को महसूस किया। मां गंगा के तट पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों का लुत्फ उठाकर समस्त डेलीगेट्स काफी मुग्ध नजर आए।
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 काशी तमिल संगमम के द्वितीय संस्करण के सांस्कृतिक संध्या का आयोजन उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र प्रयागराज एवं दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र तंजावूर, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा किया गया है।तमिलनाडु से आए किसान डेलीगेट्स भोजपुरी बिरहा पर झूमते नजर आए। नमो घाट पर अंतरराष्ट्रीय बिरहा गायक मन्नू यादव ने उच्च ध्वनि में जोरदार प्रस्तुति दी। हारमोनियम और ढोलक पर देसी स्टाइल में उन्होंने नमामि गंगा से अपने बिरहा की शुरुआत की। जय काशी-तमिल संगमम कोटि-कोटि प्रणाम। 'हमरी धारा बीच नवरिया, पार लगाय दा हो गंगा जी' गाकर तमिल डेलीगेशन को आश्चर्यचकित कर दिया। इस दौरान उन्होंने किसानों और वीर रस के गाने भी गाए। 
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सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल होने के बाद डेलिगेट्स का दल क्रूज पर सवार होगा गंगा आरती में पहुंचे। क्रूज से सभी डेलिगेट्स को विश्वनाथ मंदिर गंगा द्वार देख कर बाबा का आशीर्वाद लिया। उनके बाद वह दशाश्वमेध घाट पहुंचे जहां उन्होंने विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती देखी। गंगा आरती देख सभी डेलिगेट्स अभिभूत हो गये। हर कोई सेल्फी और फोटो लेता दिखाई दिया। क्रूज से ही तमिल डेलिगेट्स को सभी घाटों की भव्यता और दिव्यता को दिखाया गया और वहां की विशेषता के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी गई।
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