काशी में उमराव जान की मनाई गई 86वीं पुण्यतिथि, नम आंखों से दी गई श्रद्धांजलि

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वाराणसी। फिल्म अदाकार उमराव जान की 86 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर वाराणसी में श्रद्धांजलि दिया गया। जनपद के सिगरा क्षेत्र स्थित फतमान के मस्जिद के पास पुण्यतिथि के अवसर पर उमराव जान के मकबरे पर फातिहा पढ़ गया और माला फूल चढ़ाकर प्रशंसकों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।
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इस अवसर पर क्लब अध्यक्ष शकील अहमद जादूगर ने बताया कि फैजाबाद में पली बढ़ी उमराव जान किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। बकौल उमराव जान फैजाबाद की थीं , उनके बचपन का नाम अमीरन था तथा नृत्य-गायन की बारिकियां उन्होंने लखनऊ में सींखी और यहां के नवाबों के महल में अपनी नृत्य गायन की प्रतिया से नवाबों को अपना दीवाना बना दिया। अगीरन को नवाबों ने उमरावजान बना दिया हर जुबां पर बस उमराव जान का ही नाम था। इज्जत और शोहरत उनके कदम छू रही थी।
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 उमराव जान के हुस्नो अदा की बारिकियों को मशहूर निर्देशक मुजफ्फर अली ने परदे पर जहां रेखा को उमरावजान बनाया। वहीं दूसरी फिल्म उमरापजान का किरदार एश्तयां ने निभाकर बखूबी पेश कर दुनिया को उनका तसव्बुर कराया जिसे आज भी लोग भूले नहीं हैं। श्रीशकील ने आगे बताया कि अपने अंतिम समय में उमरावजान बनारस आकर अपनी तनहा जिन्दगी गुजारने लगीं। अन्त में शकील ने कहा कि 20 दिसम्बर 1937 को बनारस में अंतिम सांस लेकर अपनी प्रतिभा अपनी शोहरत और इस दुनिया को छोड़कर उमराव जान हमेष्श के लिये रूख्सत हो गयीं।
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पुण्यतिथि के मौके पर शकील अहमद ने राज्य सरकार से मांग किया कि उमरावत्लान के मकबरे के उपर मार्क्स लाइट लगना दी जाय जिससे उनका मकबरा हमेश रोशन रहे। इस अवसर पर मुख्य रूप से प्रमोद वर्मा, हैदर मौलाई, आफाक हैदर, चिंतित बनारसी, क्क्किी यादव, बाले शर्मा, मो० राजू, अरुण उपाध्याय, बलराम शर्मा, अंकीत गुर्जर, राजू अंसारी वफाती खान मौजूद रहे।

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