डीजे की तेज आवाज ने ले ली 50 वर्षीय रामसूरत निषाद की जान, लेढूपुर इलाके में बारात के शोर में फंसा ऑटो, समय पर इलाज न मिल पाने से हुई दर्दनाक मौत
वाराणसी। ध्वनि प्रदूषण के खतरनाक प्रभावों को लेकर लगातार चेतावनियों के बावजूद प्रदेश में तेज आवाज वाले डीजे के कारण होने वाली घटनाएं थम नहीं रही हैं। ताज़ा मामला वाराणसी के चौबेपुर थाना क्षेत्र के छितौनी गांव का है, जहाँ 50 वर्षीय रामसूरत निषाद की मौत शादी में बज रहे तेज डीजे के कंपन और शोर के चलते हो गई।
दवा लेकर घर लौट रहे थे, बीच रास्ते में मिला मौत का तांडव
रामसूरत निषाद इलाके में गोलगप्पे का ठेला लगाकर परिवार का पालन-पोषण करते थे। दो साल पहले उन्हें हृदय में ब्लॉकेज की समस्या हुई थी और तब से उन्हें तेज आवाज और तनाव से दूर रहने की सलाह दी गई थी। सोमवार की शाम वे पत्नी और भतीजे के साथ माता आनंदमयी अस्पताल से दवा लेकर अपने गांव लौट रहे थे। जैसे ही उनका ऑटो लेढूपुर स्थित एक मैरिज लॉन के पास पहुँचा, वहाँ शादी बारात के डीजे और नृत्य के कारण लगभग 1 किलोमीटर लंबा जाम लगा हुआ था। ऑटो जाम में इस तरह फंस गया कि आगे बढ़ने का कोई रास्ता नहीं था।
बारातियों से हाथ जोड़कर की गई विनती, पर नहीं रोका गया डीजे
परिजनों ने बार-बार बारातियों से हाथ जोड़कर अनुरोध किया कि कुछ देर के लिए डीजे बंद कर दिया जाए, क्योंकि रामसूरत की तबीयत खराब हो रही है।
लेकिन जवाब मिला “यह हमारी शादी की बारात है, डीजे हम बंद नहीं करेंगे।” उसी दौरान तेज आवाज, कंपन, भीड़ की चिल्लाहट और बहस के बीच रामसूरत को तेज घबराहट होने लगी और देखते ही देखते उनकी हालत बिगड़ती चली गई। कुछ ही मिनट बाद उन्होंने वहीं मौके पर दम तोड़ दिया। स्थिति इतनी तेजी से बिगड़ी कि अस्पताल तक ले जाने का भी मौका नहीं मिला।
कानूनी कार्रवाई नहीं की, परिवार सदमे में घर लौटा
इस दर्दनाक घटना के बाद भी परिजनों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराना उचित नहीं समझा और शव को लेकर घर चले गए। गांव में यह खबर फैलते ही पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई। लोग अवाक हैं कि सिर्फ डीजे के शोर की वजह से किसी की जान चली जाए, यह कितनी भयावह स्थिति है।
सत्या फाउंडेशन ने उठाई आवाज—डीजे के खिलाफ कड़ी कार्रवाई जरूरी
ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ अभियान चलाने वाली संस्था सत्या फाउंडेशन के सचिव चेतन उपाध्याय मंगलवार सुबह पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे। उन्होंने बताया कि भारत के कानून के अनुसार दिन में भी अधिकतम 70–75 डेसीबल तक ही ध्वनि की अनुमति है। दुनिया का कोई भी डीजे सिस्टम इस सीमा में नहीं बज सकता। इसलिए सड़क, मैरिज लॉन और सार्वजनिक स्थानों पर तेज ध्वनि वाले साउंड सिस्टम की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा “तेज ध्वनि में बजने वाले डीजे पर कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए पुलिस को स्वतः संज्ञान लेकर मुकदमा दर्ज करना चाहिए। कानून का भय नहीं होगा तो ऐसी घटनाएँ बढ़ती रहेंगी।”
साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को कानून में संशोधन करते हुए खुले स्थानों में केवल पारंपरिक वाद्य यंत्रों को ही अनुमति देनी चाहिए, ताकि ऐसी जानलेवा घटनाओं पर रोक लग सके।
ध्वनि प्रदूषण: लगातार बढ़ता खतरा
पिछले 6–7 वर्षों में उत्तर प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में तेज आवाज वाले डीजे के कारण मौत, हार्ट अटैक और स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएँ के मामले लगातार सामने आए हैं। इसके बावजूद अब तक इस पर कड़ी रोक लगाने या कानून को सख्ती से लागू करने की दिशा में पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए। रामसूरत निषाद की मृत्यु एक बार फिर चेतावनी देती है कि डीजे का अनियंत्रित शोर केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि जानलेवा खतरा बन चुका है। अगर समय रहते इस पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो ऐसी दुखद घटनाएँ आगे भी सामने आती रहेंगी।

