काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हॉस्टल में 5000 सीटें बढ़ाई जा रहीं, कुलपति ने उच्च शिक्षा सुधार पर दिया जोर
कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय अपनी होस्टल क्षमता में 5000 सीटों की वृद्धि पर काम कर रहा है, जिससे विद्यार्थियों को बेहतर आवासीय सुविधाएं मिल सकें। इसके साथ ही, 330 आवासों का नवीनीकरण, शैक्षणिक भवनों की मरम्मत और कक्षाओं, प्रयोगशालाओं, और कार्यालयों के आधुनिकीकरण की योजनाएं भी क्रियान्वित की जा रही हैं।
उन्होंने शिक्षकों के लिए किए गए विभिन्न प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा कि 250 से अधिक शिक्षकों को अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध प्रस्तुत करने के लिए 2.2 करोड़ रुपये का वित्तीय सहयोग दिया गया है, जबकि 1348 शिक्षकों ने प्रोफेशनल डिवेलपमेंट फंड से 14.8 करोड़ रुपये का लाभ उठाया है। इसके अलावा, बीएचयू ने विज़िटिंग फैकल्टी प्रोग्राम के तहत 15 अंतरराष्ट्रीय शिक्षाविदों को विश्वविद्यालय में आमंत्रित किया है।
प्रो. जैन ने विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा और अनुसंधान के वातावरण को सुधारने के लिए उठाए गए कदमों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बीएचयू में प्रतिभावान विद्यार्थियों, शिक्षकों, और कर्मचारियों को आकर्षित करना और उन्हें उचित संसाधन उपलब्ध कराना अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि विश्वविद्यालय को अपनी लक्ष्यों की पूर्ति के लिए कुशल सदस्यों की आवश्यकता होगी, जो एक सकारात्मक दृष्टिकोण और सहयोगात्मक रवैये के साथ कार्य करें।
छात्रों के कल्याण की दिशा में की गई पहलों की चर्चा करते हुए, कुलपति ने बताया कि 15 पीएचडी शोधार्थियों को अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में एक सेमेस्टर तक अनुसंधान करने का अनुदान दिया गया है। इसके अलावा, 203 पीएचडी स्कॉलर्स को विदेश में शोध पत्र प्रस्तुत करने के लिए आर्थिक सहयोग प्रदान किया गया है।
प्रो. जैन ने अपने संबोधन में वंचित तबकों के छात्रों के लिए आरंभ की गई 'प्रतिदान योजना' का उल्लेख किया, जिसके तहत 25,000 रुपये वार्षिक की 300 नई छात्रवृत्तियां प्रदान की गई हैं। उन्होंने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय का लक्ष्य 3,500 से अधिक छात्रवृत्तियों को आरंभ करने का है, जिससे महामना की परिकल्पना को साकार किया जा सके।
कुलपति के इस संवाद कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शिक्षक, वरिष्ठ पदाधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे। इस अवसर पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. राकेश भटनागर, राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन संस्थान से प्रो. मनीषा प्रियम, और आईआईटी कानपुर से प्रो. अजित चतुर्वेदी भी विशेष रूप से उपस्थित रहे।
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