बीएचयू के एनआईसीयू में तैनात 33 नर्सों-कर्मचारियों को महीनों से वेतन नहीं, कुलपति से लगाई गुहार

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वाराणसी। बीएचयू के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आईएमएस) अंतर्गत बाल रोग विभाग की एनआईसीयू/सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट (SNCU) में कार्यरत 33 स्टाफ नर्सों और कर्मचारियों को बीते कई महीनों से वेतन न मिलने का गंभीर मामला सामने आया है। इस संबंध में सभी प्रभावित कर्मचारियों ने विश्वविद्यालय के कुलपति को पत्र भेजकर अपनी आर्थिक तंगी और मानसिक पीड़ा से अवगत कराया है तथा शीघ्र हस्तक्षेप की मांग की है।

पत्र के माध्यम से कर्मचारियों ने बताया कि वे पिछले लगभग पांच वर्षों से एनआईसीयू/एसएनसीयू जैसे अत्यंत संवेदनशील विभाग में सेवाएं दे रहे हैं, जहां हर समय नवजात शिशुओं के जीवन की सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है। इसके बावजूद जुलाई 2025 से अब तक उन्हें नियमित वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। कर्मचारियों का कहना है कि वेतन न मिलने के कारण उनकी स्थिति दिन-प्रतिदिन बदतर होती जा रही है और दीपावली व होली जैसे प्रमुख त्योहार भी आर्थिक संकट में ही बीत गए।

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कर्मचारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके वेतन की वार्षिक स्वीकृति विकास विभाग, केंद्रीय कार्यालय द्वारा मार्च 2026 तक वैध है, इसके बावजूद भुगतान रोका गया है। जब इस विषय में केंद्रीय कार्यालय के वित्त विभाग से संपर्क किया गया तो बताया गया कि संबंधित फंडिंग एजेंसी द्वारा धनराशि रोकी गई है। वहीं फंडिंग एजेंसी का कहना है कि कर्मचारी बीएचयू के अंतर्गत कार्यरत हैं, इसलिए वेतन भुगतान की जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की है। इस आपसी तालमेल की कमी और जिम्मेदारी तय न होने का सीधा असर कर्मचारियों पर पड़ रहा है।

पत्र में कर्मचारियों ने अपनी पारिवारिक परेशानियों का भी उल्लेख किया है। लगातार वेतन न मिलने से घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है। बच्चों की स्कूल फीस जमा नहीं हो पा रही है, मकान मालिक किराया न मिलने पर घर खाली करने का दबाव बना रहे हैं, जबकि दवाइयों और रोजमर्रा की जरूरतों की व्यवस्था करना भी चुनौती बन गया है। कई कर्मचारियों के लिए तो ड्यूटी पर आने-जाने का खर्च निकाल पाना भी कठिन हो गया है।

कर्मचारियों का कहना है कि इस समस्या को लेकर वे कई बार संबंधित अधिकारियों और विभागों को लिखित रूप से अवगत करा चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है। हर स्तर पर यही जवाब दिया जा रहा है कि वेतन भुगतान की व्यवस्था बीएचयू स्तर से ही की जाएगी, लेकिन प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ रही है।

33 स्टाफ नर्सों और कर्मचारियों ने कुलपति से मांग की है कि वे इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप कर वेतन भुगतान सुनिश्चित कराएं, ताकि वे आर्थिक और मानसिक तनाव से मुक्त होकर नवजात शिशुओं की सेवा पूरे समर्पण और मनोयोग से कर सकें। इस पूरे प्रकरण को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठने लगे हैं।

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