टीबी एसीएफ़ अभियान में वाराणसी की 20 फीसद आबादी की होगी स्क्रीनिंग, जिले में शुरू हुआ सक्रिय टीबी रोगी खोज अभियान 

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वाराणसी। प्रधानमंत्री के वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाने के संकल्प को लेकर स्वास्थ्य विभाग कवायद में जुटा है। इसी क्रम में गुरुवार को राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) व प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत जनपद में सक्रिय टीबी रोगी खोज (टीबी एसीएफ) अभियान का शुभारंभ किया गया। इस मौके पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) कार्यालय परिसर से जन जागरूकता रैली निकाली गई। सीएमओ डा. संदीप चौधरी ने रैली को हरी झंडी दिखाकर टीबी एसीएफ़ अभियान का आगाज़ किया।

  

सीएमओ ने बताया कि अभियान को सफल बनाने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। जनपद की आबादी करीब 44 लाख है, लेकिन विशेष अभियान के तहत 20 प्रतिशत आबादी की स्क्रीनिंग की जाएगी। उन्होंने कहा कि टीबी के जीवाणु रोगी के खांसने, छींकने और थूकने से हवा में फैल जाते हैं और सांस लेने से स्वस्थ व्यक्ति के फेफड़े में पहुंचकर रोग उत्पन्न करते हैं। टीबी का रोगी एक वर्ष में 10 से 15 स्वस्थ व्यक्तियों को संक्रमित कर सकता है। इसलिए इस अभियान में टीबी के लक्षण युक्त (संभावित रोगियों) व्यक्तियों की जांच की जाएगी और जांच में टीबी की पुष्टि होने पर तत्काल उपचार शुरू किया जाएगा। इसके साथ ही निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी रोगियों को उनके उपचार के दौरान हर माह 500 रुपये की आर्थिक सहायता डीबीटी के माध्यम से बैंक खाते में प्रदान की जाती है। जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ पीयूष राय ने बताया कि अभियान के लिए 225 टीम और 45 सुपरवाइजर तैनात किए गए हैं। स्वास्थ्यकर्मी संभावित क्षय रोगियों की जांच करेंगे और टीबी की पुष्टि होने पर 48 घंटे के अंदर उपचार शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अभियान के दौरान आवासीय परिसरों, जैसे अनाथालयों, वृद्धाश्रमों, नारी निकेतन, बाल संरक्षण गृह, मदरसों और छात्रावासों में कैंप आयोजित कर टीबी के प्रति संवेदीकरण किया जाएगा और लक्षण युक्त व्यक्ति के स्पुटम (बलगम) के नमूने एकत्र किए जाएंगे।

संवेदनशील क्षेत्रों पर फोकस
डीटीओ ने बताया कि अभियान के दौरान माइक्रोप्लान के मुताबिक संवेदनशील क्षेत्रों (घनी बस्ती और स्लम एरिया) को कवर करते हुए जनपद की 20 प्रतिशत आबादी की स्क्रीनिंग की जाएगी। रोगी के बलगम की जांच करवाने पर फेफड़ों की टीबी का पता लग सकता है। बलगम के दो नमूनों की जांच माइक्रोस्कोपी एवं सीबीनॉट मशीन द्वारा की जाती है, जिससे टीबी की पुष्टि होती है। इसके साथ ही सभी रोगियों की शुगर और एचआईवी जांच भी की जाएगी। अभियान की समस्त रिपोर्ट को निक्षय पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा।


टीबी का इलाज 
टीबी रोगी के इलाज के लिए जिले में दवा स्वास्थ्य कार्यकर्ता के सीधी देखरेख में खिलाई जाती हैं। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मरीज सही दवा निश्चित समय पर पूरी अवधि तक खाकर शीघ्र रोग मुक्त हो जाए। 

इन बातों का रखें ध्यान  
दो हफ्ते या उससे अधिक खांसी, खांसी के साथ बलगम आना, रात में पसीना आना, भूख न लगना और वजन में लगातार गिरावट टीबी हो सकती है। ऐसे लक्षण देने पर तुरन्त नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर सम्पर्क करें। टीबी की समस्त आधुनिक जांच एवं सम्पूर्ण उपचार समस्त सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर निःशुल्क उपलब्ध है। अधिक जानकारी के लिए टोल फ्री नम्बर 1800-11-6666 पर संपर्क कर सकते हैं और टीबी आरोग्य सेतु एप को भी डाउनलोड करें।

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