19 वर्षों में बनकर तैयार हुआ 180 फीट ऊंचा सात मंजिला स्वर्वेद महामंदिर

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- 600 कारीगर, 200 मजदूर और इंजीनियरों की टीम ने लगातार किया काम
- महामंदिर को पूरी तरह बनकर तैयार होने में लगेंगे दो साल, अभी पहला तल ही खुलेगा
- एक साथ 20 हजार साधक कर सकेंगे योग साधना, दीवारों पर अंकित हैं 4000 दोहे  

वाराणसी। 19 साल तक लगातार 600 कारीगर, 200 मजदूर व 15 इंजीनियरों की टीम ने काम किया, तब जाकर स्वर्वेद महामंदिर (Swaraveda Temple) अपने स्वरूप में सामने आया। अभी भी महामंदिर को पूरी तरह से बनकर तैयार होने में लगभग दो साल लगेंगे। सात मंजिला महामंदिर का पहला तल ही अभी साधकों और आम लोगों के लिए खोला जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसका लोकार्पण करेंगे। 

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वाराणसी शहर से लगभग 15 किलोमीटर दूर उमरहा में स्वर्वेद महामंदिर का निर्माण दिसंबर 2004 में शुरू हुआ था। महामंदिर के निर्माण में लगभग 100 करोड़ की लागत आई। स्वर्वेद महामंदिर 180 फीट ऊंचा है। इसकी दीवारों पर 4000 दोहे लिखे हैं। यहां देवी-देवताओं की प्रतिमा नहीं है, बल्कि पूजा की जगह ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति के लिए योग साधना की जाएगी। मंदिर के ग्राउंड फ्लोर पर सद्गुरु सदाफल महाराज के आध्यात्मिक जीवन पर आधारित प्रदर्शनी, गुफा व सत्संग हाल बनाया गया है। 

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प्रथम तल पर स्वर्वेद प्रथम मंडल के दोहे, बाहरी दीवारों पर 28 प्रसंग, जो वेद, उपनिषद, गीता, महाभारत, रामायण की थीम लेकर बनाए गए हैं। प्रथम तल से पांचवें तल तक की आंतरिक दीवारों पर स्वर्वेद के दोहे व बाहरी दीवारों पर उपनिषद, गीता, रामायण के मार्मिक प्रसंग दर्शाए गए हैं। आधुनिक तकनीकी से लैस दो आडिटोरियम हैं। मंदिर के चारों तरफ परिक्रमा पथ व फौव्वारे लगाए गए हैं। स्वर्वेद महामंदिर योगी सद्गुरु महर्षि सदाफलदेव की अमूल्य कृति है। स्वर्वेद का अर्थ है आत्मा के जरिये ज्ञान की प्राप्ति।

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