108 कलश गंगाजल से भगवान जगन्नाथ को कराया देव स्नान, भक्तों की श्रद्धा और प्रेम में प्रभु पड़ेंगे बीमार, 14 दिन बाद रथ पर सवार होकर देंगे दर्शन

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वाराणसी। ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि को पूरे श्रद्धा और भक्ति भाव से अस्सी घाट स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर में देव स्नान का भव्य आयोजन किया गया। प्राचीन परंपरा के अनुसार, भगवान को 108 पवित्र कलशों से गंगाजल, सुगंधित जल और औषधीय तत्वों से स्नान कराया गया। भक्तों के श्रद्धा व प्रेम में अत्यधिक स्नान से प्रभु बीमार पड़ेंगे। 14 दिनों तक काढ़ा का सेवन करेंगे। उसके बाद रथ पर सवार होकर काशीवासियों को दर्शन देंगे। 

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अस्सी घाट स्थित मंदिर में हजारों श्रद्धालुओं ने भगवान के दर्शन कर पुण्य लाभ प्राप्त किया। भक्तों का उत्साह देखते ही बन रहा था। चारों ओर "जय जगन्नाथ" और "हर हर महादेव" के जयघोष गूंज रहे थे। श्रद्धालुओं ने इस विशेष दिन को भगवान से आत्मिक जुड़ाव के एक अनमोल अवसर के रूप में देखा। मंदिर परिसर भक्तों की आस्था, भक्ति और उल्लास से सराबोर रहा। आयोजकों ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष प्रबंध किए थे, जिसमें सुरक्षा, जल सेवा और दर्शन व्यवस्था शामिल रही।

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स्नान के इस विशेष अनुष्ठान का उद्देश्य भगवान को ज्येष्ठ माह की गर्मी से राहत दिलाना और रथयात्रा से पूर्व उनका शारीरिक और आध्यात्मिक शुद्धिकरण करना है। स्नान अनुष्ठान के बाद भगवान को 15 दिनों के लिए एकांतवास में रखा जाएगा, जिसे "अनवसर पूजा" कहा जाता है। इस दौरान भगवान को औषधियों से युक्त भोग जैसे दूध, शहद, तुलसी और अन्य स्वास्थ्यवर्धक सामग्री अर्पित की जाती है। इसके बाद भगवान रथयात्रा के दिन पुनः दर्शन देंगे।

108 कलश गंगाजल से भगवान जगन्नाथ को कराया देव स्नान

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