योगी सरकार की 10 नीतियों ने तोड़ा कुपोषण के चक्रव्यूह का दम

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 - काशी में अति कुपोषित बच्चों की संख्या में 3 वर्षों  में 13 प्रतिशत की आई है रिकॉर्ड कमी

- एनआरसी में 15 के मुकाबले अब हर माह 100 बच्चों का इलाज हो पा रहा संभव

- 15 के मुकाबले अब हर माह 100 बच्चों को मिल रहा इलाज, स्तनपान की संख्या में 30% की तेज वृद्धि हुई

- न्यू बॉर्न केयर यूनिट व न्यू बॉर्न स्टैब्लाइज़ेशन यूनिट के साथ जिले भर में 10 वातानुकूलित एमएनसीयू का लोगों को मिल रहा लाभ

- "बड्डी मदर्स" के साथ ही 3914 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाए लगातार कुपोषण से लड़ने का कर रही काम

वाराणसी, 7 नवंबर। योगी सरकार ने कुपोषण के खिलाफ ऐसी व्यूह रचना की है कि वाराणसी में कुपोषण का चक्र दम तोड़ने लगा है। इसमें मुख्य तौर पर योगी सरकार द्वारा निर्मित 10 प्वॉइंट पॉलिसी का योगदान है जिसके सकारात्मक प्रभाव अब व्यापक तौर पर दिखने लगे हैं। काशी में अति कुपोषित बच्चो की संख्या में 3 सालों में 13 प्रतिशत की रिकॉर्ड कमी आई है। इसके लिए, गर्भवती माताओं और 0-6 वर्ष के बच्चों को मल्टीविटामिन दवा, पौष्टिक फलों, सब्जियों और मिलेट्स बार दिए जा रहे है। मां और नवजात शिशु के देखभाल के लिए यूनिट संचालित हो रही है, और पोषण व मिनी पोषण पुनर्वास केंद्र स्थापित किये गए हैं। "बड्डी मदर्स "( Buddy Mothers ), स्वयं सहायता समूह के साथ ही 3914 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाएं  लगातार कुपोषण से लड़ने का काम कर रहीं हैं। 

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10 प्वॉइंट पॉलिसी से मिली मदद
कुपोषण से लड़ने के लिए योगी सरकार ने "10 प्वाइंट-काशी रणनीति"  बनाई है जिससे अति कुपोषित बच्चों से लड़ने से मदद  मिलने के साथ ही गर्भवती महिलाओं का भी ध्यान रखा जा रहा है। मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल ने बताया कि एसएएम (अति कुपोषित बच्चों ) की संख्या 2020 में 13.7% से घटकर अगस्त 2023 के आंकड़ों के अनुसार 0.77% हो गई। "10 प्वाइंट-काशी रणनीति" के माध्यम से वाराणसी में कुपोषण के लगभग अंतिम उन्मूलन के लिए अति कुपोषित बच्चो की संख्या में 13% की रिकॉर्ड कमी आई है। 

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काशी में कुपोषण पर 10 वार 

1- कुपोषण के जंग में सबसे पहले कुपोषितों का डाटा तैयार किया गया। ट्रैकिंग के मध्यान से 6 वर्ष के 99.89% बच्चों को पोषण ट्रैकर से पहचान की गई। 

2- पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर एक ब्लॉक में स्वास्थ्य विभाग और एकीकृत बाल विकास योजना ने "अभिनव पहल" कार्यक्रम शुरू किया ,जिसमे गर्भवती माताओं और 6 वर्ष के बच्चों को प्रतिदिन मल्टीविटामिन, आयरन फोलिक और 6 महीने के अंतराल पर एल्बेंडाजोल सिरप की संयुक्त खुराक दी गई। 10,304 बच्चे एसएएम से स्वस्थ श्रेणी में आ गए। 38% के मुकाबले 94% की रिकवरी दर के साथ, कार्यक्रम कुपोषण उन्मूलन के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण बन गया। इसके बाद अन्य ब्लॉकों में भी योजना लागू की गई। 

3- जिले भर में 2700 पोषण उद्यान स्थापित किए गए है जिसकी सब्जियां स्तनपान कराने वाली महिलाओं को उनकी पोषण स्थिति में सुधार करने के लिए दी जा रही है। 

4- जन्म के समय कम वजन वाले शिशुओं के लिए स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट व न्यू बोर्न स्टैब्लाइज़ेशन यूनिट के साथ जिले भर में 10 वातानुकूलित एमएनसीयू MNCU (मां और नवजात शिशु देखभाल इकाई) बनाई गई है ,जहां कंगारू देखभाल के माध्यम से नए प्रसव को स्वस्थ वजन तक सामान्य किया जाता है 
 

5- बुजुर्ग महिलाओं और सेल्फ हेल्प ग्रुप की मदद से 6 महीनो में स्तनपान की संख्या में 30% की तेज वृद्धि हुई।  

6- एक पोषण पुनर्वास केंद्र की जगह सीएचसी में 13 विकेन्द्रीकृत मिनी एनआरसी बनाया गया जहां 15 के मुकाबले अब हर माह 100 बच्चों का इलाज हो पा रहा है। 

7- आंगनबाड़ी केन्द्रो पर अच्छी उपस्थित और अच्छी सेहत के लिए कुपोषित और अति कुपोषित 65,000 बच्चों को मिलेट से बने बार खुराक के तौर पर दिए जा रहे हैं।   
 

8- स्वयं सहायता समूह की 300 से अधिक महिलाएं फोर्टिफाइड प्रीमिक्स मशीन से लड्डू और दलिया बना रहीं हैं, जो स्तनपान कराने वाली माताओं और बच्चों के लिए आजीविका एक्सप्रेस वाहनों से घर-घर पहुंचाया जा रहा है।  

9 व 10- 3 लाख स्वस्थ बच्चों की माताओं को स्वस्थ बच्चों का प्रमाणपत्र दिया गया और 15,000 (एसएएम ) बच्चों की माताओं के लिए "बड्डी मदर्स " सौंपी गईं, जो अपने अनुभव से बच्चे को एसएएम क्षेत्र से बाहर निकालने में उनकी सहायता कर रहीं हैं। 

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उल्लेखनीय है कि इस 10 प्वॉइंट पॉलिसी की मॉनिटरिंग के लिए बाकायदा नियंत्रण कक्ष की स्थापना की गई है। इस नियंत्रण कक्ष से नियमित रूप से सभी 10 बिंदुओं को ट्रैक और मॉनिटर करके फीडबैक लिया जाता है जिससे  कुपोषण से लड़ाई के लिए रणनीति बनाने में मदद मिलती है।

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