गिरिजा देवी की 96वीं जयंती: वाराणसी में 'भोर प्रणाम' के साथ ठुमरी रानी को किया याद, क्रूज पर सजी महफिल, दिग्गज कलाकारों ने दी श्रद्धांजलि  

गिरिजा देवी की 96वीं जयंती: वाराणसी में 'भोर प्रणाम' के साथ ठुमरी रानी को किया याद, क्रूज पर सजी महफिल, दिग्गज कलाकारों ने दी श्रद्धांजलि  
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वाराणसी। बनारस घराने की महान ठुमरी गायिका और शास्त्रीय संगीत की हस्ताक्षर संगीतज्ञ गिरिजा देवी की 96वीं जयंती वाराणसी में 'भोर प्रणाम' कार्यक्रम के साथ धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर तुलसी घाट से क्रूज पर सवार संगीतकारों और श्रोताओं ने उनकी सांगीतिक विरासत को श्रद्धांजलि दी। पद्मश्री साजन मिश्रा, मालिनी अवस्थी, और राहुल-रोहित की गायन प्रस्तुतियों ने उपस्थित लोगों को भाव-विभोर कर दिया।

ठुमरी से विश्व पटल पर बनारस की पहचान
गिरिजा देवी ने ठुमरी, ख्याल, टप्पा, तराना, सदरा, और धमार जैसे उपशास्त्रीय और शास्त्रीय संगीत को अपनी आवाज से संजीवनी प्रदान की। मालिनी अवस्थी ने कहा, "अप्पा जी की गायिकी में ठुमरी ही नहीं, बल्कि हर विधा जीवंत हो उठती थी। उस दौर में जब महिलाओं के लिए संगीत के मंच पर आना चुनौतीपूर्ण था, उन्होंने तमाम मुश्किलों का सामना कर एक विदुषी के रूप में खुद को स्थापित किया और महिलाओं के लिए गरिमामयी मंच तैयार किया।"

गिरिजा देवी की 96वीं जयंती: वाराणसी में 'भोर प्रणाम' के साथ ठुमरी रानी को किया याद, क्रूज पर सजी महफिल, दिग्गज कलाकारों ने दी श्रद्धांजलि  

सांगीतिक यात्रा और उपलब्धियां
गिरिजा देवी ने दो साल तक गुरुओं के सान्निध्य में संगीत की शिक्षा ली, जिससे उनकी शास्त्रीय और उपशास्त्रीय संगीत पर गहरी पकड़ बनी। 1949 में उन्होंने रेडियो पर गायन शुरू किया और 1951 में बिहार के आरा कॉन्फ्रेंस में पंडित ओंकारनाथ की अनुपस्थिति में मंच संभाला। 1952 में दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, और मंत्रियों के सामने उनकी ठुमरी प्रस्तुति को खूब सराहा गया। संगीत में उनके योगदान के लिए उन्हें 1972 में पद्मश्री, 1989 में पद्म भूषण, और 2016 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

बनारस कॉन्फ्रेंस से दिल्ली तक
गिरिजा देवी की प्रतिभा को पंडित रविशंकर, अली अकबर खान, और विलायत खान जैसे दिग्गजों ने सुना और सराहा। रविशंकर को उनकी गायिकी इतनी पसंद आई कि उन्होंने उन्हें दिल्ली बुलाकर मंच प्रदान किया। बाद के वर्षों में गिरिजा देवी ने कोलकाता की संगीत रिसर्च अकादमी में समय बिताया, जहां उन्होंने नई पीढ़ी को संगीत की शिक्षा दी। 24 अक्टूबर 2017 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया, लेकिन उनकी सांगीतिक विरासत आज भी जीवंत है।
गिरिजा देवी की 96वीं जयंती: वाराणसी में 'भोर प्रणाम' के साथ ठुमरी रानी को किया याद, क्रूज पर सजी महफिल, दिग्गज कलाकारों ने दी श्रद्धांजलि  

भोर प्रणाम: एक सांगीतिक श्रद्धांजलि
'भोर प्रणाम' कार्यक्रम में क्रूज पर आयोजित संगीत प्रस्तुतियों ने गिरिजा देवी की गायिकी को जीवंत किया। मालिनी अवस्थी ने कहा, "अप्पा जी ने बनारस घराने की पूर्वी अंग गायिकी को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई। उनकी कला और संघर्ष नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा हैं।"

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