अपने पदक का रंग बदलने के लिए बेताब है सर्विसेज के ट्रामपॉलिन जिम्नास्ट अभिजीत निंबालकर

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अपने पदक का रंग बदलने के लिए बेताब है सर्विसेज के ट्रामपॉलिन जिम्नास्ट अभिजीत निंबालकर


पणजी, 22 अक्टूबर (हि.स.)। सर्विसेज के ट्रामपॉलिन जिम्नास्ट अभिजीत निंबालकर को बेशक सजा के तौर पर जिमनास्टिक अपनाना पड़ा था लेकिन वह इसमें रमते चले गए और गुजरात में आयोजित पिछले 36वें राष्ट्रीय खेलों में उन्होंने इस स्पर्धा में कांस्य पदक जीता। कई अंतरराष्ट्रीय इवेंट्स में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके अभिजीत गोवा में पहली बार आयोजित हो रहे 37वें राष्ट्रीय खेलों में अपने पदक का रंग बदलने के लिए बेताब है और वह इसके लिए पूरी तरह अपनी कमर कस कर आए हैं।

गोवा के मापूसा स्थित पैडम स्पोर्ट्स काम्पलेक्स के इंडोर स्टेडियम में जिमनास्टिक मुकाबले 23 अक्टूबर से होने हैं। अभिजीत का मुकाबला 24 अक्टूबर को है। गोवा राष्ट्रीय खेलों में 42 खेलों में 11 हजार से अधिक एथलीट हिस्सा ले रहे हैं।

भारतीय सेना में हवलदार पद पर तैनात अभिजीत के पिता किसान है। पिता ने अभिजीत को अच्छी पढ़ाई के लिए रायगढ़ सैनिक स्कूल में दाखिल कराया, पर पढ़ाई छोड़ अभिजीत की रुचि खेलों के प्रति ही गहराती गई और उन्होंने विभिन्न खेलों में भाग लेना शुरू कर दिया। उन्होंने घुड़सवारी और फुटबॉल में राज्य स्तरीय इवेंट्स में मेडल जीते।

पढ़ाई में पीछे होते देख पिता ने उन्हें सैनिक स्कूल से निकाल पुणे के हॉस्टल में डाल दिया, जहां जिमनास्टिक के अलावा कोई और खेल में भाग लेने का चारा नहीं था। पर देखते ही देखते अभिजीत को जिमनास्टिक में रुचि आ गई और उन्होंने ट्रामपॉलिन से दोस्ती कर ली। कड़ी मेहनत और लगन के चलते जल्द ही 2008 में अभिजीत ने अपने जिमनास्टिक करियर का पहला पदक अमरावती में आयोजित आर्टिस्टिक स्टेट चैंपियनशिप में हासिल किया।

2023 में एफआईजी वर्ल्ड कप ओलंपिक क्वालीफायर में भाग ले चुके जिम्नास्ट अभिजीत कहते हैं, ''आर्टिस्टिक चैंपियनशिप में पदक जीतने के बाद मेरे अंदर यह विश्वास आ गया कि मैं जिमनास्टिक में ही अपना भविष्य बनाना चाहता हूं और इसके लिए ही लगन से आगे बढ़ना चाहता हूं। इसके बाद मैंने इस खेल को गंभीरता से लेना शुरू किया और अब इसमें पूरी तरह रम चुका हूं।''

पुणे के ट्रेनिंग कैंप में लगातार तैयारी करने वाले अभिजीत ने कहा, ''मैं देश का प्रतिनिधित्व कर ओलंपिक में अपने आप को मेडल लेते देखना चाहता हूं और देशवासियों को यह भरोसा दिलाना चाहता हूं की जिमनास्टिक का भविष्य उज्जवल है।''

अभिजीत ने कहा कि ट्रामपॉलिन में उनकी रुचि गहराने का राज उसकी अलग ही तरीके की हवाई छलांगें और मजेदार टेक्निक हैं। अभिजीत बोले ''मैच से पहले अपने आप को स्थिर रखने के लिए अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करता हूं और बढ़ी हुई दिल की धड़कनों को सामान्य करने के लिए ध्यान लगाता हूं। इससे मेरा परफॉर्मेंस कई गुना अच्छा हो जाता है।''

अभिजीत ने 2018 में फिलिपींस में आयोजित ट्रामपोलिन एशियाई चैंपियनशिप में हिस्सा लिया था औऱ सराहनीय पांचवां स्थान हासिल किया था। अब अभिजीत 37वें राष्ट्रीय खेलों में भाग लेने गोवा आ चुके हैं और स्वर्ण पदक जीतने के लिए बेकरार हैं और इस क्रम में अपने पदक का रंग बदलना उनका मुख्य लक्ष्य होगा।

अभिजीत ने कहा, ''गुजरात में मैं अपने प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं था। मैं और बेहतर कर सकता था। दो साल में मैंने काफी मेहनत की है और खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से गोवा में होने वाले राष्ट्रीय खेलों के लिए तैयार किया है और अब मैं हर हाल में अपने पदक का रंग बदलना चाहता हूं।''

हिन्दुस्थान समाचार/सुनील

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