पश्चिम बंगाल फुटबॉल टीम की रीढ़ हैं गरीबी से जूझ रही छोटे शहर की लड़कियां

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पश्चिम बंगाल फुटबॉल टीम की रीढ़ हैं गरीबी से जूझ रही छोटे शहर की लड़कियां


वास्को, 28 अक्टूबर (हि.स.)। ऐसा प्रतीत होता है कि पश्चिम बंगाल के दक्षिण पश्चिम क्षेत्र का एक छोटा सा शहर झाड़ग्राम, पश्चिम बंगाल की महिला फुटबॉल टीम का मुख्य फीडर बन गया है जो यहां गोवा में चल रहे 37वें राष्ट्रीय खेलों में प्रतिस्पर्धा कर रही है।

अधिक प्रेरणादायक बात यह है कि साधारण पृष्ठभूमि के बावजूद - माता-पिता या तो छोटे किसान हैं या छोटी-मोटी नौकरी करते हैं लेकिन युवाओं में फुटबॉल खेलने को लेकर काफी उत्साह है।

शुक्रवार को यहां महिला फुटबॉल के वेन्यू तिलक मैदान में तमिलनाडु के खिलाफ पश्चिम बंगाल के पहले राउंड के मैच के दौरान पहले ग्यारह में कम से कम 40 प्रतिशत खिलाड़ी मदीनापुर जिले के झारग्राम से थे।

तुलसी हेमरान, मुगली हेमरान (एक दूसरे से संबंधित नहीं), ममता सिंह और ममता महता झारग्राम से बंगाल के पहले मैच में ग्यारह में चार खिलाड़ी थे।

लड़कियां कड़ी मेहनत करने में सफल साबित हुईं और 90 मिनट के रोमांचक मुकाबले के दौरान पश्चिम बंगाल की उम्मीदों को जिंदा रखा। पश्चिम बंगाल ने मजबूत तमिलनाडु टीम के खिलाफ स्कोरबोर्ड आगे बढ़ाने के दो सुनहरे मौके गंवाए और मुकाबला गोलरहित बराबरी पर समाप्त हुआ।

23 वर्षीय तुलसी ने मैच के बाद बातचीत में कहा, हम पूरे अंक जुटाने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन चूक गए।

तुलसी अपने स्कूल के दिनों से ही फुटबॉल में पूरी लगन से शामिल रही हैं और अब एक दशक से अधिक समय हो गया है।

उन्होंने कहा, “मैंने अपने स्कूल के दिनों में फुटबॉल खेलना शुरू किया था। स्कूल से सहयोग मिला जिससे मुझे फुटबॉल खेलने का मौका मिला।''

उन्होंने आगे कहा, “एक किशोरी के रूप में मैंने मेस्सी (अर्जेंटीना के स्टार फुटबॉल खिलाड़ी) को टीवी पर देखा था। वो मेरे आदर्श हैं। मैं उनके जैसा महान बनना चाहती हूं।”

अपने जुनून को बढ़ावा देने और अपने माता-पिता का समर्थन करने के लिए, फुटबॉल खेलने वाली युवा लड़कियों ने पश्चिम बंगाल पुलिस विभाग खेल कोटा योजना के तहत अपना नामांकन कराया है। इस योजना के तहत होनहार फुटबॉल खिलाड़ियों को 9,000 रुपये का मासिक स्टाइपेंड प्राप्त होगा।

22 वर्षीय मुगली ने कहा “झारग्राम की अधिकांश लड़कियाँ गरीबी से बचने के लिए फुटबॉल खेलती हैं। 'खिलाड़ियों को भले ही बड़ी रकम न मिले, लेकिन हमें जो भी पैसे मिलते है, वह हमें अपने माता-पिता का समर्थन करने और फुटबॉल खेलना जारी रखने में सहायता प्रदान करते हैं।''

मुगली भी अस्थायी आधार पर पश्चिम बंगाल पुलिस विभाग में हैं।

उन्होंने कहा, “मैं जो कमा रही हूं उससे खुश हूं। मेरे कमाए हुए पैसों से मैं कुछ पैसे फुटबॉल की किट खरीदने और कुछ पैसों से माता-पिता की सहायता करने में इस्तेमाल करती हूँ।''

युवा खिलाड़ी महिला लीग में भी खेलते हैं जिससे उन्हें अधिक धन कमाने के मौके प्राप्त होते हैं । लेकिन कम संसाधनों ने फुटबॉल को जीवित रखने के उनके बेजोड़ उत्साह को कम से कम झाड़ग्राम में कभी बाधा नहीं डाली।

हिन्दुस्थान समाचार/ सुनील/सुनील

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