राष्ट्रीय खेलों में मिली स्वर्णिम सफलता ने मेरे गांव वालों की सोच बदल दीः एथलीट सीमा
पणजी, 31 अक्टूबर (हि.स.)। इस बात को गुजरे एक दशक से भी ज्यादा समय हो गया है, जब सीमा ने पहली बार स्थानीय स्कूल खेल प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में अपने गांव रेटा से बाहर कदम रखा था। तब गांव वालों ने उनका विरोध किया था क्योंकि बुजुर्ग इस बात से नाखुश थे कि स्कूल जाने वाली एक लड़की खेलों में भाग ले रही है लेकिन सीमा और उसके परिवार ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया और रविवार को 22 वर्षीय एथलीट सीमा ने यहां बम्बोलिम स्टेडियम में 37वें राष्ट्रीय खेलों में महिलाओं की 10,000 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।
सीमा ने शुरुआती वर्षों में उन चुनौतियों को याद करते हुए कहा, '' जब मैंने एथलेटिक्स शुरू किया, तो गांव के रूढ़िवादी लोगों ने इसका विरोध किया क्योंकि मुझे गांव से बाहर नहीं जाना चाहिए। लेकिन मेरे दिवंगत पिता ने मेरा सपोर्ट किया।''
हालात तब और ज्यादा खराब हो गए जब 2012 में उनके पिता का निधन हो गया और वह अपने पीछे तीन बहनों सहित छह भाई-बहनों का परिवार छोड़ गए। सीमा सबसे छोटी है और उसके दौड़ने के शौक को पूरा करने के लिए उसके सभी भाई-बहन ने उनकी काफी मदद की।
सीमा को 2015 में धर्मशाला में भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) स्कीम के तहत ट्रेनिंग के लिए चुना गया था और इसने राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में उनके करियर में और ज्यादा चार चांद लगा दिया। उनके बेहतर प्रदर्शन के दम पर ही उन्हें 2018 में खेलो इंडिया के लिए चुना गया और फिर उन्हें 10,000 रुपये की मासिक छात्रवृत्ति मिलनी शुरू हो गई। उन्होंने कहा, '' यह मेरे लिए बहुत बड़ा समर्थन था।''
इससे सीमा को खेल कोटा के तहत हिमाचल प्रदेश में बैंकिंग में नौकरी मिल गई और फिर उन्हें अपने खेल पर ध्यान केंद्रित करने के लिए वित्तीय मदद भी मिली। सीनियर स्तर पर सीमा अब तक चार प्रतियोगिताओं में भाग ले चुकी हैं और उनमें से तीन में वह स्वर्ण पदक और एक में रजत पदक अपने नाम कर चुकी है।
लेकिन सीमा को पदक से ज्यादा इस बात की खुशी है कि उनकी सफलता ने उनके गांव वालों की सोच बदल दी और अब गांव के ज्यादा से ज्यादा लोग अपनी लड़कियों को खेलों में भेज रहे हैं।
उन्होंने कहा, '' जब मैंने जूनियर राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतना शुरू किया तो फिर इससे चीजें बदल गई। मेरे गांव की लड़कियां भी खेलों को खेलने लगी। अब वे भी अपनी आगे की पढ़ाई के लिए पास के शहरों में जाती हैं।''
सीमा अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुद को साबित करने के लिए भारतीय टीम में जगह बनाना चाहती हैं और अपने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए वह शारीरिक फिटनेस पर काम करना चाहती हैं।
उन्होंने कहा, ''अगले साल और बेहतर प्रदर्शन के लिए मुझे पूरी तरह से फिट रहने की जरूरत है।''
हिन्दुस्थान समाचार/ सुनील/प्रभात
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