भारत को अगर सेपक टकरा में विश्व स्तर पर चमकना है तो एक नेशनल सेंटर का होना अनिवार्य: अयेकपाम देवी
मडगांव, 4 नवंबर (हि.स.)। जिंदगी के किसी भी पड़ाव पर, खुशियां अक्सर संघर्ष और चुनौतियों से होकर गुजरती हैं। भारतीय सेपक टकरा महिला टीम की खिलाड़ियों और 2023 एशियाई खेलों की कांस्य पदक विजेता ओइनम चाओबा देवी और अयेकपम माईपक देवी की भी कुछ ऐसी ही कहानी है।
गोवा में जारी 37वें राष्ट्रीय खेलों में मणिपुर का प्रतिनिधित्व करते हुए, दोनों ने फाइनल में क्रमशः गोवा और नागालैंड को हराकर महिला टीम स्पर्धा और महिला रेगु स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता।
34 साल की चाओबा देवी ने चार अलग-अलग मौकों पर एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। लेकिन 2023 में किंग्स कप सेपक टकरा विश्व चैंपियनशिप में क्वाड्रेंट इवेंट में कांस्य पदक और रेगु इवेंट में रजत पदक और महिला रेगु इवेंट में एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतने के बाद भारतीय टीम का आत्मविश्वास अब काफी ऊंचा है। लेकिन हाल के वर्षों में राष्ट्रीय टीम के लिए चीजें थोड़ी अलग रही हैं।
चाओबा देवी ने कहा, '' सांस्कृतिक रूप से, सेपक टकरा मणिपुर और यहां तक कि भारत के अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों में भी काफी लोकप्रिय है। बहुत सारे लोग और छोटे बच्चे यह खेल खेलते हैं। हालांकि, सुविधाओं और बुनियादी ढांचे के मामले में, हमें अभी भी राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत अधिक सपोर्ट नहीं मिलता है। 2013 तक, हमें अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में भारत का प्रतिनिधित्व करते समय यात्रा और रहने के लिए अपनी जेब से भुगतान करना पड़ता था।''
चूंकि भारतीय टीम का विश्व स्तर पर प्रदर्शन लगातार शानदार होता जा रहा है, इसलिए अब टीम को साजो-सामान और परिधान के मामले में थोड़ी मदद मिल जाती है। हालांकि, यहां तक कि शीर्ष खिलाड़ी, जो भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, को प्रेरित रहने और अपनी ट्रेनिंग पर ध्यान केंद्रित करने के लिए बहुत अधिक समर्थन की आवश्यकता है।
भारतीय महिला टीम की कप्तान अयेकपम माईपाक देवी का मानना है कि थाईलैंड, वियतनाम और मलेशिया जैसी टॉप टीमों के खिलाफ मुकाबला करने के लिए भारत को अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है।
उन्होंने कहा, '' भारत में सेपक टकरा की ट्रेनिंग के लिए कोई फेमस अकादमी या स्थाई जगह नहीं है। यहां तक कि विश्व चैंपियनशिप और एशियाई खेलों जैसे बड़े टूर्नामेंटों के लिए, हमारे पास प्रतियोगिता से पहले 90 दिन का शिविर होता है, जहां हम एक साथ ट्रेनिंग लेते हैं। अन्य समय में, खिलाड़ी अलग-अलग अभ्यास करते हैं, जो टीम खेल में आदर्श नहीं है। अगर हमें ये बुनियादी सुविधाएं मिलें तो मुझे यकीन है कि विश्व मंच पर भारत का प्रदर्शन और भी बेहतर होगा।''
मणिपुर उन राज्यों में से एक रहा है, जिसने शुरुआती दिनों से ही इस खेल को काफी बढ़ावा दिया है।
फुटबॉल की एक मजबूत क्षेत्रीय होने के साथ- एक ऐसा खेल जो मणिपुर में काफी लड़कों और लड़कियों द्वारा द्वारा खेला जाता है। सेपक टकरा ने दोनों खेलों के बीच थोड़ी समानता के कारण 'चचेरे भाई के खेल' की भूमिका निभाई है। वास्तव में, ओइनम चाओबा देवी, एलंगबाम प्रिया देवी और लीरेंटोम्बी देवी (सभी 2023 एशियाई खेलों के कांस्य पदक विजेता) जैसे खिलाड़ियों ने फुटबॉल के साथ खेलों में अपनी शुरुआत की।
कई क्लब और क्षेत्रीय अकादमियां भी राज्य में सेपक टकरा को खेलाती हैं और बढ़ावा देती हैं। मणिपुर में नियमित रूप से आयोजित अंतर-राज्य टूर्नामेंटों के साथ, युवाओं को खेल अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है क्योंकि इन प्रतियोगिताओं में विजेताओं के लिए नकद पुरस्कार होते हैं और ये राज्य में सरकारी नौकरी के लिए आवेदन के लिए एक मानदंड के रूप में काम करते हैं।
अपने राज्य के लिए पदक जीतना टीम के लिए क्या मायने रखता है, इस बारे में बात करते हुए कप्तान ओइनम चौबा देवी ने कहा, '' हम अपने राज्य के लिए ये पदक जीतकर बहुत खुश हैं, खासकर क्योंकि सेपक टकरा 11 साल के अंतराल के बाद राष्ट्रीय खेलों में वापस आया है। मणिपुर के लिए पदक जीतना हमारे परिवारों के लिए बहुत खुशी की बात है। इसलिए हम अपना यह स्वर्ण पदक मणिपुर के लोगों को समर्पित करते हैं।''
हिन्दुस्थान समाचार/ सुनील
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