केआईयूजी: सुजाता कुजूर की नजरें भारतीय महिला हॉकी टीम पर
- सुजाता का शुरुआती करियर संघर्षपूर्ण था लेकिन टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम में शामिल होना उनके लिए गेम-चेंजर साबित हुआ
गुवाहाटी, 26 फरवरी (हि.स.)। ओडिशा के एक छोटे से शहर सुंदरगढ़, जहां खेतों की खुशबू युवाओं के सपनों के साथ मिलती है, सुजाता कुजूर एक प्रेरणादायक शख्सियत और एक उदीयमान हॉकी प्रतिभा के रूप में उभरीं।
सुजाता की अगुवाई वाली संबलपुर यूनिवर्सिटी की हॉकी टीम ने खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2023 अष्टलक्ष्मी में महिला हॉकी का स्वर्ण पदक जीता। संबलपुर यूनिवर्सिटी टीम ने फाइनल में आईटीएम यूनिवर्सिटी, ग्वालियर को रोमांचक पेनल्टी शूटआउट में 5-3 से हराया। निर्धारित समय की समाप्ति दोनों टीमें 1-1 से बराबरी पर थीं।
मिडफील्डर के रूप में खेलने वाली सुजाता ने कहा, “चैंपियन के रूप में उभरना एक अविश्वसनीय एहसास है। हमारी टीम ने एकता, अटूट समर्पण और कौशल के आवश्यक संयोजन का सहज मिश्रण प्रदर्शित किया। पूरे समय हमारी कड़ी मेहनत प्रेरक शक्ति बनी रही। खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2023 में कठिन प्रतिस्पर्धा को पहचानते हुए, हमारे सामूहिक दृढ़ संकल्प ने हमें न केवल पदक जीतने बल्कि शीर्ष स्थान हासिल करने के लिए प्रेरित किया। मुझे अपनी टीम के असाधारण प्रयासों पर बहुत गर्व है। इसी ने हमें इस विजयी क्षण तक पहुंचाया।
दिलचस्प बात यह है कि 10 साल की उम्र में सुजाता की हॉकी की दुनिया में यात्रा केवल एक ही लक्ष्य के साथ शुरू हुई थी और वह था- किसी दिन भारतीय महिला हॉकी टीम में जगह बनाना। एक किसान पिता और एक गृहिणी मां के घर में जन्मी सुजाता आर्थिक तंगी का शिकार रहीं। यह उनके बढ़ते जुनून के लिए एक बाधा थी। निडर सुजाता की आगे जाने की भावना उन्हें सुंदरगढ़ में भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) सेंटर तक ले गई, जहां उनके असाधारण प्रदर्शन ने 2020 में कोलकाता में राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (एनसीओई) में उनके पंजीकरण का मार्ग प्रशस्त किया।
सुजाता के जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ टारगेट ओलंपिक पोडियम (टॉप्स) योजना में शामिल होने के साथ आया। इस पहल ने न केवल उनके वित्तीय बोझ को कम किया बल्कि उन्हें सुंदरगढ़ में अपने परिवार को सपोर्ट करने की भी अनुमति दी। इस योजना से मिलने वाला स्कॉलरशिप उनके लिए एक जीवन रेखा बन गया। इससे सुजाता को नियमित रूप से घर पैसे भेजने, अपने माता-पिता, एक छोटे भाई और एक बड़ी बहन, जो अभी भी शिक्षा प्राप्त कर रही है, का भरण-पोषण करने में मदद मिली।
टॉप्स स्कीम को लेकर सुजाता ने कहा, टॉप्स योजना मेरी ताकत का स्तंभ रही है। इसने न केवल मेरे हॉकी सपनों को पूरा किया बल्कि मुझे अपने परिवार की देखभाल में योगदान करने में भी सक्षम बनाया। यह मेरे लिए बहुत गर्व का स्रोत है।
एनसीओई कोलकाता में, सुजाता ने खुद को ऐसे माहौल में पाया जिसने उनकी प्रतिभा को निखारा। सुविधा ने उसे वह सब कुछ प्रदान किया जिसकी उसे ज़रूरत थी। उन्हें उचित पोषण से लेकर गुणवत्तापूर्ण उपकरण तक सब कुछ मिला। इस योजना ने उनकी अब तक की यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
सुजाता की प्रतिभा विश्वविद्यालय स्तर से भी आगे बढ़ी क्योंकि वह पिछले साल जापान में जूनियर एशिया कप में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय महिला जूनियर टीम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थीं। इसके बाद उन्होंने 2023 में डसेलडोर्फ में 4 देशों के जूनियर महिला आमंत्रण टूर्नामेंट और सैंटियागो में एफआईएच जूनियर विश्व कप में भारतीय जूनियर महिला टीम का प्रतिनिधित्व किया।
अब 20 साल की उम्र में, सुजाता आत्मविश्वास से अपने लंबे समय के सपने को पूरा करने के लिए तैयार है और यह सपना भारतीय महिला हॉकी टीम में स्थान सुरक्षित करना है। अपने हर कदम में दृढ़ संकल्प के साथ आगे जा रहीं सुजाता ने कहा, हर बाधा ने केवल मेरे संकल्प को मजबूत किया है। मैं अपना सर्वश्रेष्ठ देने और भारतीय महिला हॉकी टीम में अपनी छाप छोड़ने के लिए प्रतिबद्ध हूं। यह यात्रा केवल मेरी नहीं है, यह आकांक्षाओं का प्रतीक है।
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश/प्रभात
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