स्वच्छ हाइड्रोजन व जिंक बैटरियों के लिए आईआईटी जोधपुर ने विकसित की तकनीक
जोधपुर, 09 दिसम्बर (हि.स.)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जोधपुर के शोधकर्ताओं ने सतत प्रौद्योगिकी के दो प्रमुख क्षेत्रोंसमुद्री जल से सीधे हाइड्रोजन उत्पादन तथा अगली पीढ़ी की जलीय जिंक-आयन बैटरियों में उल्लेखनीय प्रगति प्रदर्शित की है। केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के इलेक्ट्रो केमिकल एनर्जी कन्वजऱ्न एंड स्टोरेज (ईडब्ल्यूसीएस) प्रयोगशाला में सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रशांत कुमार गुप्ता के नेतृत्व में यह शोध किया गया है। ये नवाचार नवीकरणीय ऊर्जा, जल संकट और जलवायु परिवर्तन से जुड़े वैश्विक चुनौतियों को दूर करने में सहायक साबित हो सकते हैं।
वर्तमान में वायुमंडलीय सीओ2 स्तर 420 पीपीएम से अधिक हो चुके हैं, जिससे ऊर्जा और पर्यावरण संबंधी अभूतपूर्व चुनौतियां उत्पन्न हो रही हैं। पारंपरिक हाइड्रोजन उत्पादन प्रक्रिया में अत्यधिक शुद्ध जल की आवश्यकता होती है, जिससे यह तटीय और शुष्क क्षेत्रों में समस्याएं उत्पन्न करती है। डॉ. गुप्ता की टीम समुद्री जल से सीधे हाइड्रोजन उत्पादन की दिशा में उन्नत इलेक्ट्रोकैटलिस्ट विकसित कर रही है, जो जल शुद्धिकरण की आवश्यकता को समाप्त कर देती है और औद्योगिक अपशिष्ट उपचार से जुड़ी समस्याओं को भी कम करती है।
डॉ. गुप्ता ने बताया कि इस तकनीक से हाइड्रोजन उत्पादन की लागत को 90 प्रति किलोग्राम से नीचे लाने की क्षमता है। इसके अतिरिक्त, समुद्री जल में उपस्थित तत्वों से उत्पन्न होने वाली दीर्घकालिक समस्याओं, जैसे कि फाउलिंग और स्केलेिंग, का समाधान भी किया जा रहा है। डॉ. गुप्ता ने बताया कि समुद्री जल से सीधे हाइड्रोजन उत्पादन, सस्ते ग्रीन हाइड्रोजन की दिशा में सबसे बड़ा कदम है। हमारा उद्देश्य ऐसे पदार्थ और इंटरफेस विकसित करना है जो वैज्ञानिक दृष्टि से उन्नत और वास्तविक उपयोग के लिए व्यावहारिक भी हों।
जिंक-आयन व एयर बैटरियों में महत्वपूर्ण उपलब्धियांभारत में नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, जिससे सुरक्षित, किफायती और टिकाऊ ऊर्जा भंडारण समाधानों की आवश्यकता और भी बढ़ गई है। वर्तमान में प्रचलित लिथियम-आयन बैटरियां महंगी और संसाधन आधारित समस्याओं से जुड़ी हैं, जबकि लेड-एसिड बैटरियां पर्यावरणीय दृष्टि से हानिकारक और सीमित क्षमता वाली हैं। ईडब्ल्यूसीएस प्रयोगशाला जलीय जिंक-आयन बैटरियों पर गहन शोध कर रही है।
जिंक एक किफायती, टिकाऊ, और प्रचुर रूप से उपलब्ध सामग्री है, जो बैटरियों की उच्च ऊर्जा घनत्व, सुरक्षा, और कम लागत प्रदान करती है। शोधकर्ता बेहतर दक्ष कैथोड सामग्री और इलेक्ट्रोलाइट एडिटिव विकसित कर रहे हैं, जिससे बैटरियों की क्षमता और चक्र जीवन को बढ़ाया जा सके। इसके साथ ही, शोधकर्ता पर्यावरणीय ऑक्सीजन का उपयोग करने वाली हाइब्रिड जिंक-एयर बैटरियों पर भी कार्य कर रहे हैं, जो हल्के और पोर्टेबल उपकरणों के लिए अत्यधिक ऊर्जा घनत्व प्रदान कर सकती हैं।
भविष्य की दिशा में योगदान : आईआईटी जोधपुर में हाइड्रोजन उत्पादन और ऊर्जा भंडारण के क्षेत्र में की गई प्रगति स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में भारत को अग्रणी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। यह शोध भारत सरकार के राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन, एसडीजी-7 (सस्ती एवं स्वच्छ ऊर्जा) और एसडीजी-13 (क्लाइमेट एक्शन) के उद्देश्यों के अनुरूप है। डॉ. गुप्ता के अनुसार हमारी प्रयोगशाला में तकनीक के माध्यम से जलवायु परिवर्तन से निपटने के समाधान विकसित किए जा रहे हैं। समुद्री जल से हाइड्रोजन उत्पादन हो या अगली पीढ़ी की बैटरियों का निर्माण-हमारा प्रयास वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य को स्वच्छ और अधिक लचीला बनाने की दिशा में है।--------------------
हिन्दुस्थान समाचार / सतीश

