समुद्री और अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन क्षेत्रों में शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने पर जोर
नई दिल्ली, 1 दिसंबर (हि.स.)। बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय (एमओपीएसडब्ल्यू) ने विश्व बैंक और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) के साथ मिलकर शुक्रवार को एक कार्यशाला का आयोजन किया। इसका विषय राज्य सरकार के प्रतिनिधियों और अन्य संबंधित हितधारकों के साथ मिलकर केरल के कोच्चि में हरित सागर दिशानिर्देश के लिए एक पाठ्यक्रम तैयार करना था।
इस दौरान कार्यशाला में 'एमआईवी 2030' और 'अमृतकाल विजन 2047' में उल्लिखित शुद्ध शून्य उत्सर्जन के उद्देश्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक कदम आगे ले जाने पर चर्चाएं भी हुई। चर्चाएं प्रस्तावित योजना के इर्द-गिर्द घूमती रहीं, जिसमें वित्तपोषण, निर्माण और हरित पोत पहल को शुरू करने के साथ-साथ इसके लिए सहायक बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया। विभिन्न हरित ईंधन विकल्पों पर भी चर्चा की गई। अपनी तरह की पहली कार्यशाला थी।
कार्यशाला में बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय के अधिकारियों, असम, महाराष्ट्र, गोवा, ओडिशा, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, केरल राज्य जल परिवहन विभाग और कोच्चि मेट्रो रेल लिमिटेड के राज्य सरकार के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यशाला के बाद प्रतिनिधि 2 दिसंबर को कोच्चि वॉटर मेट्रो और कोचीन शिप यार्ड का दौरा करेंगे।
कार्यक्रम के दौरान कोच्चि वॉटर मेट्रो की तर्ज पर महाराष्ट्र सरकार के प्रतिनिधि ने महाराष्ट्र में इसी तरह की वॉटर मेट्रो प्रणाली शुरू करने के लिए कोच्चि वॉटर मेट्रो और एमओपीएसडब्ल्यू के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने में रुचि दिखाई। कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों के बीच प्रौद्योगिकी स्थिरीकरण और मानकीकरण के लिए अनुसंधान और विकास के महत्व पर भी विचार-विमर्श किया गया।
हिन्दुस्थान समाचार/ बिरंचि सिंह/दधिबल
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