सनातन संस्कृति भारतीय परंपरा की आधारशिला : दुर्गादास उइके

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सनातन संस्कृति भारतीय परंपरा की आधारशिला : दुर्गादास उइके


सनातन संस्कृति भारतीय परंपरा की आधारशिला : दुर्गादास उइके


सनातन संस्कृति भारतीय परंपरा की आधारशिला : दुर्गादास उइके


देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न

हरिद्वार, 30 मार्च (हि.स.)। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में चल रही दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आज समापन हो गया। इस संगोष्ठी में भारत सहित रूस, अमेरिका आदि देशों के सनातन संस्कृति के विस्तार में जुटे अनेक शिक्षाविदों, विचारकों एवं विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किये।

समापन समारोह में मुख्य अतिथि व केन्द्रीय राज्यमंत्री दुर्गा दास उइके ने कहा कि सनातन संस्कृति भारतीय परंपरा की आधारशिला है, जिसने हमें पहचान और गर्व की भावना दी है। विश्वस्तर पर भारतीय संस्कृति के योगदान को समझना और उसकी महत्ता को पहचानना आवश्यक है।उइके ने कहा कि राष्ट्रीय धर्म और संस्कृति के विकास के लिए हमें शक्ति की साधना करनी चाहिए। गायत्री परिवार का प्रत्येक स्वयंसेवक सनातन संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन का कार्य कर रहा है। केन्द्रीय मंत्री उइके ने कहा कि राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समरसता को बढ़ाने में सनातन संस्कृति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

कार्यक्रम में अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि मानव को मानवता का पाठ पढ़ाने वाली भूमि भारत ही है। जहां से सनातन संस्कृति का विस्तार पूरे विश्व में हो रहा है। युवा आइकान ने कहा कि संगोष्ठी में विचार विमर्श के प्रमुख-प्रमुख अंशों का पुस्तकाकार दिया जायेगा, जिससे सनातन संस्कृति के जिज्ञासु और शोधार्थी लाभान्वित होंगे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक के अखिल भारतीय संयोजक गोपाल आर्य और सांसद त्रिवेन्द्र सिंह रावत, यूपीकेएससी के अध्यक्ष डॉ जगमोहन राणा, डॉ एसएस नेगी, प्रो विनीत गहलोत आदि ने वैश्विक स्तर पर भारत के सांस्कृतिक गौरव को सशक्त करने पर जोर दिया।

दो दिन चली इस संगोष्ठी में कुल आठ सत्र हुए। जिसमें शिक्षाविदों व विशेषज्ञों ने वैश्वीकरण के दौर में भारतीय संस्कृति के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए नवाचारपूर्ण विचारों पर चर्चा की और युवा पीढ़ी को सनातन परंपराओं के प्रति जागरूक करने के लिए विभिन्न विषयों पर गहन मंथन किया। डाॅ चिन्मय पण्ड्या ने केन्द्रीय राज्यमंत्री उइके, सांसद रावत और अखिल भारतीय संयोजक (आरएसएस) गोपाल आर्य का गायत्री महामंत्र लिखित चादर, युग साहित्य और प्रतीक चिह्न आदि भेंटकर सम्मानित किया। इस माैके पर विवि की ओर से संपादित पुस्तक एवं पत्रिका आदि का विमोचन भी किया गया।

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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

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