बांग्लादेश में भारतीय छात्रों की स्थिति गंभीर, विरोध प्रदर्शन के बीच 202 से अधिक भारतीयों की वापसी
कोलकाता, 19 जुलाई (हि.स.)। बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कोटा व्यवस्था के खिलाफ चल रहे देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के कारण मेडिकल की पढ़ाई कर रहे 100 से अधिक भारतीय छात्र वहां फंस गए हैं। इन छात्रों को वीजा बढ़ाने की अनुमति नहीं दी गई और कई छात्राओं के साथ विभिन्न स्थानों पर छेड़छाड़ की घटनाएं भी सामने आई हैं। बांग्लादेश की मजहबी कट्टरपंथी पार्टी जमात-ए-इस्लामी ने इन छात्रों को बंधक बना कर फिलिस्तीन शैली के समझौते की योजना बनाई है। फिलहाल इस पर विस्तृत जानकारी का इंतजार हो रहा है।
इस संकटपूर्ण स्थिति के बीच 202 से अधिक भारतीय नागरिक, जिनमें अधिकांश छात्र हैं, मेघालय के दावकी इंटीग्रेटेड चेकपोस्ट के रास्ते भारत वापस लौट आए हैं। इनमें से 161 छात्र, जिनमें से 63 मेघालय के हैं, उन्हें सुरक्षित निकाला गया।
प्रदर्शनकारियों की मांग है कि शेख हसीना सरकार 1971 के युद्ध के पूर्व सैनिकों के परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण को बंद करे। बांग्लादेश की सर्वोच्च अदालत 07 अगस्त को इस कोटा को बहाल करने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील की सुनवाई करेगी।
ढाका में कोटा विरोधी प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या शुक्रवार सुबह तक 39 हो गई है। इस हिंसा के कारण बांग्लादेश में टेलीविजन समाचार चैनल बंद हो गए हैं, दूरसंचार सेवाएं बाधित हो गई हैं और कई समाचार पत्रों की वेबसाइटें और सोशल मीडिया खाते निष्क्रिय हो गए हैं।
छात्र प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के टेलीविजन नेटवर्क पर आकर संघर्षों को शांत करने की अपील के एक दिन बाद राष्ट्रीय प्रसारक के भवन में आग लगा दी। कई पुलिस पोस्ट, वाहन और अन्य प्रतिष्ठान भी जला दिए गए। कई अवामी लीग के पदाधिकारियों पर भी छात्रों ने हमला किया।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने सभी पक्षों से संयम बरतने का आह्वान किया है और अधिकारियों से सभी हिंसक कृत्यों की जांच करने और दोषियों को सजा देने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा, हिंसा कभी भी समाधान नहीं हो सकती।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर / संजीव पाश
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