फोरेंसिक मेडिसिन और ओडोंटोलॉजी के बीच सहयोग पर संगोष्ठी, एआई की भूमिका पर चर्चा

फोरेंसिक मेडिसिन और ओडोंटोलॉजी के बीच सहयोग पर संगोष्ठी, एआई की भूमिका पर चर्चा
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फोरेंसिक मेडिसिन और ओडोंटोलॉजी के बीच सहयोग पर संगोष्ठी, एआई की भूमिका पर चर्चा


नई दिल्ली, 24 फरवरी (हि.स.)। वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज (वीएमएमसी) और सफदरजंग अस्पताल में फोरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी दंत चिकित्सा विभाग ने शनिवार को सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) कार्यक्रम की मेजबानी की। फोरेंसिक मेडिसिन और फोरेंसिक ओडोंटोलॉजी के बीच सहयोग पर देश भर के 35 मेडिकल और डेंटल कॉलेजों के 200 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यक्रम के दौरान फोरेंसिक विश्लेषण में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की महत्वपूर्ण भूमिका, चेहरे के पुनर्निर्माण की तकनीक और आपदा पीड़ित की पहचान में चुनौतियां, प्रगति शामिल हैं।

कार्यक्रम का उद्घाटन स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक डॉ. अतुल गोयल ने किया। इस अवसर पर अतुल गोयल ने कहा कि इस सहयोगात्मक सीएमई ने ज्ञान के आदान-प्रदान और विषय संवाद के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया। विशेषज्ञों द्वारा साझा की गई अंतर्दृष्टि फोरेंसिक विज्ञान और इसके अनुप्रयोगों में महत्वपूर्ण प्रगति लाने की क्षमता रखती है।

वीएमएमसी और सफदरजंग अस्पताल में फोरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर सर्वेश टंडन ने आपराधिक जांच और आपदा पीड़ित पहचान प्रक्रियाओं में फोरेंसिक ओडोंटोलॉजिस्ट को एकीकृत करने के महत्व पर जोर दिया। सीएमई से प्राप्त सिफारिशों ने फोरेंसिक विश्लेषण की सटीकता और दक्षता बढ़ाने के लिए फोरेंसिक मेडिसिन और फोरेंसिक ओडोंटोलॉजी के बीच अधिक सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित किया। आपदा पीड़ित की पहचान में सुधार के लिए आपदा प्रतिक्रिया टीम में एक फोरेंसिक ओडोंटोलॉजिस्ट को शामिल करना चाहिए।

फॉरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी विभाग के तत्वावधान में आयोजित, सीएमई में वीएमएमसी और सफदरजंग अस्पताल, भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) बेंगलुरु, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), मौलाना आज़ाद इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज, और त्रिभुवन विश्वविद्यालय, नेपाल जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के विशेषज्ञों के नेतृत्व में ज्ञानवर्धक व्याख्यान और चर्चाएं हुईं।

हिन्दुस्थान समाचार/ विजयलक्ष्मी/दधिबल

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