पर्यावरण परिवर्तन की चुनौतियों के समाधान को जुटेंगे देशभर के वैज्ञानिक
मऊ में वैज्ञानिकों का महाकुंभ, पर्यावरण परिवर्तन की चुनौतियों का खोजेंगे समाधान
एनबीएआईएम के राष्ट्रीय सम्मेलन में जुटेंगे देशभर के कृषि वैज्ञानिक
मऊ, 08 जून (हि.स.)। जिले में 10-11 जून को कृषि वैज्ञानिकों का महाकुम्भ होगा। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद मऊ के परिसर में देशभर के सैकड़ों कृषि वैज्ञानिक एक मंच पर जुटेंगे और पर्यावरण परिवर्तन की चुनौतियों के समाधान के लिए मंथन करेंगे।
यह कार्यक्रम भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, राष्ट्रीय कृषि उपयोगी सूक्ष्म जीव ब्यूरो (एनबीएआईएम)के 23वें स्थापना दिवस पर आयोजित होगा। इस सम्मेलन का मुख्य विषय 'कृषि में सूक्ष्म जीव अनुसंधान के क्षितिज का विस्तार' है। इस सम्मेलन में देश के विभिन्न भागों से 300 से भी अधिक प्रतिभागी हिस्सा लेंगे। जिसमें विभिन्न विश्वविद्यालय के कुलपति, शोध संस्थानों के निदेशक, महाविद्यालय के प्राचार्य, प्रोफेसर, प्रधान वैज्ञानिक, उद्योग जगत के प्रतिनिधि और शोधकर्ता शामिल होंगे।
ब्यूरो के निदेशक डॉ आलोक कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि आज के बदलते परिवेश में पर्यावरण परिवर्तन की चुनौतियों से विश्व जूझ रहा है। मिट्टी में फर्टिलिटी और सॉइल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं को देखते हुए समय आ गया है कि हम सूक्ष्मजीवों पर आधारित पद्धतियों पर आगे बढ़ें। पिछले 50-60 सालों में सूक्ष्मजीव पद्धतियों पर बहुत कार्य हुए हैं और वह किसानों तक पहुंचाने की प्रक्रिया में है। अब आवश्यकता एक पारित शोध कार्यक्रम की है जिसके लिए देशभर से सैकड़ों कृषि वैज्ञानिक सम्मेलन में शामिल होंगे।
उन्होंने बताया कि इस कृषि वैज्ञानिक सम्मेलन में पर्यावरण परिवर्तन की चुनौतियों के लिए समाधान नेचर फ्रेंडली फार्मिंग और सूक्ष्मजीव आधारित कृषि पर चर्चा होगी। सम्मेलन में सूक्ष्मजीवों के उपयोग से कृषि उत्पादन को बढ़ाने और मिट्टी की सेहत को बनाए रखने पर जोर दिया जाएगा। कीटों और रोग कारकों को नियंत्रित करना, बायोफर्टिलाइजर के रूप में पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करना और बायो स्टिम्युलेट्स के रूप में पौधों की वृद्धि बढ़ाना मुख्य उद्देश्य होगा।
मीडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया कि सम्मेलन में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 11 संस्थान और 16 कंपनियों के सूक्ष्मजीव आधारित तकनीकियों और उत्पादों के कृषि में प्रगति और विस्तार पर प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। इससे नवाचारों को प्रोत्साहन मिलेगा और उन्हें व्यावसायिक उपयोगी तक पहुंचा जा सकेगा। देश के कृषि क्षेत्र में विकास को गति भी मिलेगी।
उन्होंने बताया कि विभिन्न कंपनियों, विश्वविद्यालय एवं शैक्षिक संस्थानों के साथ एम.ओ.यू. भी किया जा रहा है। जिम 10 प्राइवेट कंपनियां हैं, जबकि आठ रिसर्च और एजुकेशनल इंस्टीट्यूट हैं। एम.ओ.यू. करने वाली संस्थाओं में दो एफपीओ व एफपीसी भी हैं।
उन्होंने बताया कि सम्मेलन का उद्घाटन फसल विज्ञान के उप महानिदेशक डॉ तिलक राज शर्मा करेंगे। जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के उप महानिदेशक डॉ सुरेश कुमार चौधरी और पूर्व सदस्य कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल के पूर्व सदस्य डॉ. प्रजिब कुमार चक्रवर्ती होंगे। सम्मेलन की अध्यक्षता असम कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉक्टर अमरनाथ मुखोपाध्याय करेंगे।
हिन्दुस्थान समाचार/वेद नारायण/राजेश
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