नौसेना की 'ट्विन कैरियर ऑपरेशंस' क्षमता को देखने समुद्र में उतरे रक्षा मंत्री
- तीन दिवसीय कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में रक्षा मंत्री ने नौसेना कमांडरों को संबोधित किया
- हिंद महासागर क्षेत्र में लगातार नेतृत्व की भूमिका में उभर रही है बहुआयामी भारतीय नौसेना
नई दिल्ली, 05 मार्च (हि.स.)। नौसेना कमांडरों के सम्मेलन का मंगलवार को उद्घाटन करने के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भारतीय नौसेना की ‘ट्विन कैरियर ऑपरेशंस’ संचालित करने की क्षमता को देखने के लिए समुद्र में उतरे। विमानवाहक पोतों आईएनएस विक्रांत और विक्रमादित्य ने भारत के समुद्री हितों की रक्षा के लिए नौसेना की बढ़ती क्षमताओं का प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि अपनी बढ़ती बहुआयामी क्षमताओं के कारण नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में लगातार नेतृत्वकारी भूमिका में उभर रही है।
तीन दिवसीय कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में रक्षा मंत्री ने नौसेना कमांडरों को संबोधित किया। उन्होंने हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी बहुआयामी क्षमताओं को बढ़ाने और लगातार नेतृत्व की भूमिका में उभरने के लिए भारतीय नौसेना की सराहना की। उन्होंने भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति और समृद्धि की दिशा में काम करने के लिए नौसेना के प्रयासों को सराहा। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारतीय नौसेना के समुद्री डकैती विरोधी अभियानों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में इसकी सराहना की जा रही है।
राजनाथ सिंह ने वैश्विक प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका के अलावा समुद्री सुरक्षा और भारत की संप्रभुता बनाए रखने में नौसेना के महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अगर हिंद महासागर क्षेत्र और व्यापक इंडो-पैसिफिक में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है, तो यह हमारी नौसेना की बहादुरी और तत्परता के कारण है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में विश्वसनीयता का पर्याय नौसेना वैश्विक कैनवास पर भारत के बढ़ते कद का प्रतिबिंब है। रक्षा मंत्री ने लगातार विकसित हो रहे भू-राजनीतिक परिदृश्य के बीच तीनों सेनाओं की संयुक्तता और तालमेल के महत्व को रेखांकित किया।
उन्होंने आधुनिक युद्ध और विभिन्न समुद्री अभियानों में ड्रोन के बढ़ते उपयोग के बारे में भी बात की। रक्षा मंत्री ने हिंद महासागर में नौसेना की बढ़ती क्षमताओं की प्रशंसा की और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और समृद्धि को बढ़ावा देने में इसके नेतृत्व पर जोर दिया। उन्होंने कमांडरों से सरकार के हरसंभव समर्थन का आश्वासन देते हुए सभी प्रकार की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहने का आग्रह किया। सम्मेलन के दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने कहा कि भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना प्रमुख भी नौसेना कमांडरों के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर चर्चा करके तीनों सेनाओं के बीच तालमेल और तत्परता बढ़ाने के रास्ते तलाशेंगे।
इस बार नौसेना कमांडरों का सम्मेलन हाइब्रिड प्रारूप में आयोजित किया जा रहा है। नौसेना कमांडरों का यह सम्मेलन तेजी से परिवर्तित हो रहे समुद्री माहौल के बीच नौसेना के भविष्य की दिशा तय करने के लिए एक निर्णायक भूमिका निभाएगा। यह नौसेना कमांडरों के लिए समुद्री सुरक्षा से संबंधित रणनीतिक, परिचालन और प्रशासनिक मामलों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करेगा। उभरती भू-राजनीतिक गतिशीलता, क्षेत्रीय चुनौतियों और क्षेत्र में मौजूदा अस्थिर समुद्री सुरक्षा स्थिति की पृष्ठभूमि में आयोजित यह सम्मेलन भारतीय नौसेना के भविष्य के पाठ्यक्रम को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत/जितेन्द्र
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