ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मिसाल बना 10 साल का शवण, अनुशका ने फुटबॉल के मैदान में दागे कई गोल
-प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कारों के विजेताओं ने साझा किए अपने अनुभव
नई दिल्ली, 26 दिसंबर (हि.स.)। छोटी उम्र में अद्म्य साहस, अद्भुद प्रतिभा के धनी बच्चों ने आज दूसरे बच्चों में मिसाल बन मशाल की तरह लौ जगाई है। शुक्रवार को देश के ऐसे ही अद्भुद प्रतिभावान 20 बच्चों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इनमें से कई बच्चों से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बात की और उनका हौसला बढ़ाया। हिन्दुस्थान समाचार ने इन प्रतिभाशाली पुरस्कृत बच्चों से खास बातचीत की और जाना कि कैसे उन्होंने अपनी प्रतिभा को निखारा और आगे देश के विकास में किस तरह से अहम भागीदारी निभा सकेंगे। प्रतिभावान पुरस्कृत बच्चों ने बताया कि सपने, मेहनत, लगन और साहस एक दिन आपको सुनहरे भविष्य की ओर ले जा सकते हैं। फिर चाहे वो जंग का मैदान हो य़ा फिर फुटबॉल ग्राउंड।
पंजाब के चक तारण वाली गांव के रहने वाले 10 साल के शवण सिंह ने बताया कि किस तरह से ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को हमारी सेना ने हराया। शवण बताते हैं कि जब उनके गांव के ऊपर से कई ड्रोन उड़ रहे थे, गोलियों की आवाजें बंद होने का नाम नहीं ले रही थी। उस समय उन्हें लगा कि उन्हें अपने सैनिकों के लिए कुछ करना चाहिए। उन्होंने दिन रात फौजियों को चाय, लस्सी और खाना बांटा। शवण बताते हैं कि इस दौरान उन्हें फौजियों ने भी खूब प्यार दिया और उन्हें अपनी तरह फौजी बनने के लिए प्रेरित किया। शवण बताते हैं कि वे बड़ा होकर एक भारतीय सेना में फौजी बनेंगे। वहीं, झारखंड की रहने वाली 14 साल की अनुशका कुमारी ने फुटबॉल के मैदान को अपनी कर्मभूमि बनाया। आज अंडर 17 महिला फुटबॉल टीम में वे खेल रही हैं और कई गोल बनाने का खिताब उनके नाम हैं। अनुशका बताती हैं कि उनकी माता आज भी मजदूरी कर घर चलाती हैं। बड़ी मुश्किल से उन्हें जूते दिला पाती हैं। पिता काम के दौरान फिसल कर घायल हो गए थे तब से पूरा परिवार मजदूरी कर घर चलाता है। तमाम मुश्किलों के बीच मुस्कुराती हुई अनुशका बताती हैं कि मेहनत करते रहने से कोई भी जो चाहे वो बन सकता है। तीन साल पहले भाई के साथ फुटबॉल ग्राउंड जाया करती थी, लड़कों के साथ ही खेला करती थी। वहीं सीखा। इसी तरह खेलते खेलते खेल में निखार आया और आज कई मेडल जीते हैं। वे सरकार से और लोगों से कहती हैं कि जिस तरह से लोग क्रिकेट को महत्व देते हैं उसी तरह फुटबॉल को दें तो शायद खिलाड़ियों के दिन भी फिरें।
इसी तरह नौ साल की गिटार प्लेयर और सुरीली आवाज में गाने वाली मिजोरम की एस्थर बताती हैं कि उनके फॉलोअर उनके प्रशंसक हैं जो उन्हें रोज कुछ नया करने के लिए प्रेरित करते हैं। 6 साल की उम्र से एस्थर गाने लगी थी। उन्होंने आज भी प्रधानमंत्री के सामने वंदे मातरम गाना गाया। एस्थर कहती हैं -यह पुरस्कार उनके लिए और उनके जैसे कई बच्चियों के लिए प्रेरणा देने वाला है। इससे आत्मविश्वास बढ़ता है और आगे भी इससे बेहतर करने की इच्छा जागी रहती है।
वहीं, उत्तर प्रदेश की बाराबंकी की पूजा ने तो 17 साल की उम्र में ही बाराबंकी के प्रदूषण की समस्या का हल निकाल लिया। इसी उपलब्धि के लिए उन्हें प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पूजा बताती हैं कि वे बड़े होकर वैज्ञानिक बनेंगी औऱ दिल्ली सहित देश के कई शहरों की प्रदूषण की समस्या का निवारण करेंगी। उन्होंने बताया कि खेतों से उड़ने वाली धूल के कणों को नियंत्रित करने के लिए जिस तरह से एक उपाय निकाला उसी तरह सभी समस्या का हल है बर्शते कि उस पर विचार किया जाए।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कारों का वितरण किया।
वीर बाल दिवस के मौके पर देशभर के 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से चुने गए करीब 20 बच्चों को बाल पुरस्कार दिया गया। 6 कैटेगरी वीरता, कला संस्कृति, साइंस, पर्यावरण, सामाजिक सेवा और खेल में पुरस्कार दिए गए हैं। 20 बच्चों में से 2 बच्चों को मरणोपरांत बाल पुरस्कार मिला।
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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी

