एनआईए ने असम मानव तस्करी मामले में 24 के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया

एनआईए ने असम मानव तस्करी मामले में 24 के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया
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एनआईए ने असम मानव तस्करी मामले में 24 के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया


नई दिल्ली, 6 फ़रवरी (हि.स.)। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जाली भारतीय पहचान पत्र के साथ मानव तस्करी मामले में 24 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है। इसमें चार बांग्लादेशी नागरिक और एक म्यांमार मूल का रोहिंग्या है।

एनआईए ने मंगलवार को जारी एक बयान में बताया कि राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए इन लोगों के खिलाफ सोमवार को असम के गुवाहाटी स्थित एनआईए की विशेष अदालत में आराेप पत्र दायर किया गया। आरोपितों के खिलाफ विभिन्न भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा और विदेशी पासपोर्ट अधिनियम 1920 के तहत आरोप पत्र दाखिल किए हैं।

एनआईए के मुताबिक राज्य पुलिस एजेंसियों के सहयोग से त्रिपुरा, असम, जम्मू कश्मीर और पश्चिम बंगाल में 39 स्थानों पर की गई व्यापक छापेमारी के दौरान शुरुआत में 29 लोगों को गिरफ्तार किया था। छापेमारी के दौरान बड़ी संख्या में आपत्तिजनक दस्तावेज, जाली भारतीय पहचान दस्तावेज, बैंक दस्तावेज और डिजिटल उपकरण जब्त किए गए थे। पूछताछ और जांच के आधार पर बाद में छापेमारी के दौरान त्रिपुरा से चार की गिरफ्तारी के साथ आरोपितों की संख्या 33 हो गई।

एनआईए प्रवक्ता ने बताया कि कुछ असामाजिक तत्वों के खिलाफ असम पुलिस द्वारा शुरू में पासपोर्ट अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था। एनआईए ने बाद में मामले को अपने हाथ में लिया और इसे फिर से दर्ज किया। एनआईए की जांच से पता चला कि अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी सिंडिकेट त्रिपुरा, असम, पश्चिम बंगाल और अन्य क्षेत्रों में भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सक्रिय थे। ये सिंडिकेट नियमित रूप से रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की तस्करी कर रहे थे और उन्हें देश के विभिन्न हिस्सों में बसाने के लिए जाली भारतीय पहचान दस्तावेज तैयार कर रहे थे।

एनआई की जांच में यह भी बात सामने आई है कि सीमा के दोनों ओर के सिंडिकेट ने साजिश रची और तस्करी किए गए व्यक्तियों को प्रलोभन देते थे, उनके लिए जाली भारतीय पहचान दस्तावेज तैयार करते थे। इसके साथ ही रहने, खाने और यात्रा के लिए यात्रा की व्यवस्था भी करते थे। तस्करी की गई लड़कियों और महिलाओं का धोखे से कई अन्य तरीकों से शोषण किया गया। इसके साथ ही कुछ रोहिंग्या महिलाओं को शादी के लिए भी बेच दिया गया। जांच में पाया गया है कि स्थानीय अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत नकली या जाली सहायक दस्तावेजों और प्रमाणपत्रों पर स्थानीय निकायों की मिलीभगत से बांग्लादेशी नागरिकों द्वारा भारतीय आईडी दस्तावेज प्राप्त किए गए थे।

हिन्दुस्थान समाचार/ बिरंचि सिंह/दधिबल

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