इंदिरा गांधी के ‘योग गुरु’ रहे धीरेंद्र ब्रह्मचारी की संपत्ति अपने कब्जे में लेगी सरकार
- विधानसभा में विधेयक पारित, कांग्रेस ने किया वाकआउट
चंडीगढ़, 28 मार्च (हि.स.)। हरियाणा सरकार द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के ‘योग गुरु’ रहे धीरेंद्र ब्रह्मचारी की संपत्ति का अधिग्रहण करने का रास्ता साफ हाे गया है। शुक्रवार को विधानसभा में विपक्षी दल कांग्रेस के हंगामे तथा वाकआउट के बावजूद सरकार ने यह विधेयक पारित करवा लिया, जिस संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा है, वह गुरुग्राम के सेक्टर 30 के बिल्कुल करीब है। इस संपत्ति पर कब्जे को लेकर धीरेंद्र ब्रह्मचारी के पुराने अनुयायिओं में विवाद चल रहा है। उनकी मृत्यु के बाद कुछ रिश्तेदार और किरायेदार 24 एकड़ 16 मरला इस प्रापर्टी पर मालिकाना हक को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। खुद को सोसाइटी का प्रतिनिधि बताने वाले दो लोगों ने 27 दिसंबर 2020 को करीब 55 करोड़ रुपये में इस जमीन को दिल्ली की चार कंपनियों के पक्ष में ट्रांसफर कर दिया था। डीसी गुरुग्राम ने सेल डीड रद कर दी थी। डीसी के आदेश के खिलाफ अपील को पिछले साल अप्रैल में हाईकोर्ट ने बरकरार रखा था, जिसकी सुनवाई अब 29 मई में होगी।
शुक्रवार को उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री राव नरबीर सिंह ने सदन में जैसे ही विधेयक रखा तो रोहतक के कांग्रेस विधायक बीबी बतरा ने विरोध करते हुए कहा कि सरकार किस अधिकार के तहत यह विधयेक सदन में लाई है क्योंकि यह केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के अधीन का मामला है। यह संस्था दिल्ली में पंजीकृत है, जिस कारण सरकार ने विधेयक पारित करा भी लिया तो अदालत में टिक नहीं पाएगा, जिससे सदन की किरकिरी होगी।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मोर्चा संभालते हुए पूछा कि इस संस्था की जमीन को 145 अनुच्छेद के तहत अटैच करेंगे या नहीं। इस पर मुख्यमंत्री नायब सैनी ने कहा कि सरकार इसको लेकर पूरी तरह से गंभीर है। नौ जून 1994 को हवाई दुर्घटना में धीरेंद्र ब्रह्मचारी के स्वर्गवास के बाद जम्मू में भी अपर्णा संस्थान को वहां की सरकार चला रही है। हरियाणा विधानसभा में भी अपर्णा संस्थान के संबंध में लाए गए विधेयक का उद्देश्य स्वामी धीरेंद्र ब्रह्मचारी के जन कल्याण के विचारों को आगे बढ़ाना है। उस जमीन पर योग आश्रम पहले से बना है और स्वामीजी चाहते थे कि लोगों को यहां पर स्वास्थ्य सुविधाएं भी उपलब्ध हों। इसलिए इस आश्रम का नियंत्रण सरकार के अधीन लेकर जन कल्याण के भाव को साकार करना है।
मुख्यमंत्री ने कांग्रेस विधायकों की आपत्तियों को खारिज करते कहा कि इस विधेयक को लाने से हम केंद्र सरकार के किसी भी कानून को बाइपास नहीं कर रहे हैं, बल्कि उसके अधीन रहकर ही सभी प्रक्रियाएं पूरी की जा रही हैं। धीरेंद्र ब्रह्मचारी की मृत्यु होने के बाद उक्त संस्था दो गुटों में बंट गई। पिछले करीब 30 साल से इनमें मुकदमेबाजी चल रही है और संस्थान निष्क्रिय हो गया है। इसलिए इस विधेयक को लाने का उद्देश्य यह है कि संस्थान की जमीन किसी गलत हाथों में ना जाए और लोगों को इसका लाभ मिलता रहे। इसलिए सदन इस विधेयक को पूर्ण बहुमत से पारित करे।
मुख्यमंत्री नायब सैनी और उद्योग मंत्री राव नरबीर सिंह द्वारा स्पष्टीकरण दिए जाने के बाद भी जब कांग्रेस विधायक बीबी बत्रा ने आरोप लगाया कि सदन को यह विधेयक पारित करने का अधिकार नहीं है तो विधानसभा अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण भडक़ गए। उन्होंने कहा कि फिर तो आप कहेंगे कि सदन को बजट पारित करने का भी अधिकार नहीं है। इस पर बत्रा ने माफी मांग ली, लेकिन अपनी बात पर अड़े रहे। इस हंगामे के बीच कांग्रेस ने सदन से इस मुद्दे पर वाकआउट कर दिया। इसके बाद सरकार ने विधेयक पारित कर दिया।
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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा