युवाओं को असफलता से डरे बिना सफल होने का प्रयास जारी रखना चाहिएः उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

युवाओं को असफलता से डरे बिना सफल होने का प्रयास जारी रखना चाहिएः उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़
WhatsApp Channel Join Now
युवाओं को असफलता से डरे बिना सफल होने का प्रयास जारी रखना चाहिएः उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़


युवाओं को असफलता से डरे बिना सफल होने का प्रयास जारी रखना चाहिएः उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़


-उपराष्ट्रपति की अध्यक्षता में आयोजित हुआ गुजरात यूनिवर्सिटी का 72वां दीक्षांत समारोह

-51,622 विद्यार्थियों को उपाधि, डिप्लोमा और प्रमाण पत्र प्रदान किए गए

गांधीनगर, 19 जनवरी (हि.स.)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की अध्यक्षता में शुक्रवार को अहमदाबाद में आयोजित गुजरात यूनिवर्सिटी के 72वें दीक्षांत समारोह में विभिन्न संकायों के 51,622 विद्यार्थियों को उपाधि, डिप्लोमा और प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। इस समारोह में कुलाधिपति और राज्यपाल आचार्य देवव्रत, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री ऋषिकेशभाई पटेल भी मौजूद रहे।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ एवं अन्य महानुभावों ने गुजरात यूनिवर्सिटी परिसर में नवनिर्मित अटल-कलाम भवन का उद्धाटन किया। अटल-कलाम भवन में ही आयोजित दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि, युवाओं को मन में किसी भी प्रकार का डर रखे बिना जीवन की प्रत्येक चुनौतियों का सामना करते हुए आगे बढ़ना चाहिए। यदि आपको सफलता न मिले, तो निराश या हताश होने के बजाय दृढ़ता के साथ मुकाबला करेंगे तो सफलता अवश्य मिलेगी। उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत काल में कर्तव्य काल की एक मजबूत नींव रखी गई है। जब देश वर्ष 2047 में आजादी का शताब्दी महोत्सव मना रहा होगा, तब सबसे अधिक आशा युवाओं से होगी।

गुजरात की यात्रा पर आए उपराष्ट्रपति ने उत्साह के साथ कहा कि, “मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे गुजरात यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में शामिल होने का अवसर मिला। गुजरात आकर मुझे अच्छा लगता है। जब गुजराती दिल्ली जाता है, तब उसका प्रभाव गुजरात पर तो पड़ता ही है, साथ ही देश और दुनिया पर भी पड़ता है।” इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने गर्व के साथ यह स्वीकार किया कि ‘अटल कलाम रिसर्च सेंटर’ का उद्घाटन कर वे स्वयं को भाग्यशाली समझते हैं। उन्होंने कहा कि इस सेंटर का नाम भारत के दो महान सपूतों अटल बिहारी वाजपेयी और एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रखा गया है, यह हम सभी के लिए एक गौरव की बात है। इस अवसर पर उन्होंने एपीजे अब्दुल कलाम के प्रेरक प्रसंगों का भी उल्लेख किया। वाइब्रेंट गुजरात समिट की सफलता के बारे में उन्होंने कहा कि, वाइब्रेंट समिट के जरिए गुजरात ने ग्लोबल डेवलपमेंट के लिए एक प्लेटफॉर्म प्रदान किया है। इसके साथ ही उन्होंने गुजरात को ‘लैंड ऑफ इनोवेशन’ यानी नवाचार की भूमि भी बताया और गुजरात के ग्रीन हाइड्रोजन मिशन की भी सराहना की।

प्रधानमंत्री मोदी के महिलाओं के संबंध में लिए निर्णय की सराहना

उपराष्ट्रपति ने केंद्र सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महिलाओं के लिए अनेक अच्छे निर्णय किए हैं। उन्होंने सबसे पहले गांव-गांव में शौचालय बनाने का निर्णय किया था। उसके बाद प्रधानमंत्री ने हर घर नल से जल योजना के माध्यम से सुदूरवर्ती गांवों तक पानी पहुंचाया। उन्होंने आगे कहा कि उज्ज्वला योजना के जरिए 10 करोड़ से अधिक घरों को मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन मिले हैं। आज सरकारी सहायता की राशि अनेक लाभार्थियों के बैंक खातों में पूरी पारदर्शिता के साथ पहुंच रही है।

गुजरात की मिट्टी की खासियत गिनाई

गुजरात की भूमि के संबंध में बात करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि, गुजरात की मिट्टी में कुछ खास बात है। फिर चाहे बात सरदार वल्लभभाई पटेल की हो या महात्मा गांधी जी की हो, या फिर वर्तमान में देश का नेतृत्व संभाल रहे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी और गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह जी की हो, प्रत्येक कालखंड में ऐसे अनेक महापुरुषों ने गुजरात की धरती पर जन्म लिया है, जिन्होंने भारत का नाम देश और दुनिया में आगे बढ़ाया है। यह कालखंड भारत के विकास का है। यह कालखंड विकसित भारत के संकल्प को साकार करने का है। इतिहास पर रोशनी डालते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि, भारत के संविधान और देश के एकीकरण में दो महत्वपूर्ण बातें हैं। पहली, जम्मू कश्मीर के अलावा अन्य सभी राज्यों के एकीकरण की प्रक्रिया में सरदार पटेल शामिल थे। दूसरी, डॉ. बी.आर. आंबेडकर, संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष, और हमारे भारतीय संविधान के पिता थे, जिन्होंने अनुच्छेद 370 को छोड़कर संविधान के सभी अनुच्छेदों का प्रारूप तैयार किया था। भारत के संविधान के विषय में बात करते हुए उन्होंने कहा कि, संविधान निर्माताओं ने हमें जो संविधान दिया है, उसमें 22 चित्र हैं जिसमें हमारी 5000 वर्षों की सांस्कृतिक विरासत की झलक है, सारनाथ का अशोक चिन्ह है, गुरुकुल की परिपाटी है और उसका सर्वाधिक महत्वपूर्ण हिस्सा वह है जिसे मौलिक अधिकार कहा जाता है, जो लोकतंत्र का अमृत और लोकतांत्रिक मूल्यों का सार है, जिसके बिना लोकतंत्र अधूरा है। इस मौलिक अधिकार खंड के ऊपर भगवान श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण जी का चित्र है अर्थात श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण जी हमारे संविधान का एक भाग हैं। इसके अलावा उन्होंने कानून व्यवस्था, डिजिटल लेनदेन की चर्चा की।

हिन्दुस्थान समाचार/बिनोद/प्रभात

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story