(वार्षिकी) : बहुजन समाज पार्टी के लिए संघर्ष और खुद को साबित करने वाला रहा वर्ष 2025
लखनऊ, 24 दिसंबर (हि.स.)। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के लिए वर्ष 2025 काफी संघर्ष और खुद को साबित करने वाला रहा । बसपा प्रमुख सुश्री मायावती इस चुनौती पर खरी उतरने की हर संभव काेशिश करती नजर आईं। विपक्षियों को आड़े हाथों लेने में वे बिल्कुल भी पीछे नहीं रहीं। पार्टी के अंदरूनी कलह के चलते भतीजे आकाश आनंद और उनके ससुर अशाेक सिद्धार्थ को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया ताे बड़ा दिल भी दिखाया। उनकी गलतियों को माफ कर उन्हें पुन: पार्टी में वापस भी लिया। भतीजे आकाश को पार्टी का राष्ट्रीय संयोजक बनाकर उन्हाेंने बिहार चुनाव की जिम्मेदारी दी और इसके सकारात्मक नतीजे भी देखने काे मिले। बिहार में रामगढ़ सीट का मिलना इसका प्रमाण है।
बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष बहन मायावती ने बसपा को कमजोर समझने वाले दलों को अपने समाज की ताकत दिखाने के लिए कार्यकर्ताओं के बल पर लखनऊ में विशाल रैली करके यह संदेश दे दिया है कि उनका कोर वोट बैंक जाटव व दलित अभी भी उनके साथ हैं, भले ही इस समय उनके पास विधानसभा में केवल एक विधायक और मात्र 9 प्रतिशत वोट है लेकिन अभी भी वह किसी भी दल का खेल बिखाड़ने में सक्षम है। वर्ष 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मैदान में बसपा मजबूती के साथ उतरेगी।
पहले निकाला फिर की भतीजे आकाश की वापसी
मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को 2019 में राष्ट्रीय संयोजक बनाया। वर्ष 2023 में उन्हें अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी भी घोषित कर दिया था। 2024 के लोकसभा चुनावों की जिम्मेदारी भी सौंपी थी, लेकिन मई 2024 में सीतापुर में एक भाषण के चलते उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ और इसके बाद उन्हें पद से हटा दिया गया था। फिर दाेबारा पार्टी में लिया गया, जिसके बाद पार्टी में अंतर्कलह शुरू हाे गई। मायावती ने दो मार्च 2025 को आकाश और उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ को सभी पदों से निष्कासित करते हुए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया था। उन्होंने कहा था कि अशोक ने आकाश आनंद का राजनीतिक करियर बर्बाद किया है। बसपा प्रमुख ने यह भी कहा कि पार्टी से बढ़कर उनके लिए काेई रिश्ते-नाते मायने नहीं रखते हैं। मेरे जीते जी मेरा कोई उत्तराधिकारी नहीं होगा। कुछ माह बाद आकाश और उसके ससुर ने माफी मांगी तो बड़ा दिल रखते हुए बहन मायावती ने माफ करते हुए दोनों को पार्टी में वापस ले लिया। इतना ही नहीं मायावती ने आकाश को पदाेन्नत करते हुए पार्टी का राष्ट्रीय संयोजक बनाया । यह पद संगठन में राष्ट्रीय अध्यक्ष यानी मायावती के बाद आता है। बिहार चुनाव की जिम्मेदारी भी मिली, जिसमें बसपा को एक सीट मिली।
लाखाें की भीड़ जुटा कर खुद को किया साबितप्रदेश में लगभग 22 प्रतिशत आबादी वाले इस वर्ग को सभी दल यह संदेश देकर अपने पाले में खींचने का प्रयास कर रहे हैं कि बसपा का अस्तित्व अब समाप्त हो चुका है। पुराने नेता भी पार्टी से चले गए या फिर निकाल दिए गए हैं। इसकी भनक जब बसपा प्रमुख काे लगी ताे उन्हाेंने बसपा संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि पर 9 अक्टूबर 2025 को लखनऊ में विशाल रैली आयोजित की। इस रैली में लगभग पांच लाख से अधिक की भीड़ जुटी। मंच से उन्होंने जहां प्रदेश की वर्तमान याेगी सरकार की सराहना की तो कांग्रेस-सपा पर हमलावर रहीं। उन्होंने इस रैली के जरिए यह साबित करने की काेशिश की कि आज भी बसपा शोषिताें- पीड़ितों के दिलों पर राज करती है। उन्हाेंने संदेश दिया कि वर्ष 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मैदान में बसपा मजबूती के साथ उतरेगी। राजनैतिक जानकारों का कहना है कि साल 2025 में जो कुछ हुआ, उसे भूलकर बसपा प्रमुख को आने वाले साल 2026 में और पार्टी के जनाधार को लेकर लेकर सोचना हाेगा। क्योंकि उनके सामने लगातार एक के बाद एक चुनौतियां हैं।राज्यसभा में बसपा का एक मात्र सांसद है, उनका भी कार्यकाल 2026 में समाप्त हाे जाएगा। ऐसे में बसपा काे राजनीति के मैदान में बने रहने के लिए नए सिरेे से अपनी रणनीति बनानी हाेगी। अपने परंपरागत जनाधार काे विश्वास की धार देनी हाेगी, उनके बीच पैठ बनानी हाेगी तभी बसपा कामयाबी के शिखर पर पहुंच सकेगी।
हिन्दुस्थान समाचार / दीपक

