विश्व हिन्दी परिषद का उद्देश्य हिन्दी को राष्ट्र और विश्व भाषा बनाना

विश्व हिन्दी परिषद का उद्देश्य हिन्दी को राष्ट्र और विश्व भाषा बनाना
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विश्व हिन्दी परिषद का उद्देश्य हिन्दी को राष्ट्र और विश्व भाषा बनाना


नई दिल्ली, 06 जून (हि.स.)। विश्व हिन्दी परिषद की बैठक में हिन्दी को राष्ट्र और विश्व भाषा बनाने के संकल्प को दोहराया गया। गत दिवस हरियाणा भवन में आयोजित इस बैठक की अध्यक्षता दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध अदिति महाविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. संध्या वात्स्यायन ने की। बैठक में 25-26 जुलाई को होने वाले ‘श्री अरविन्द’ से संबंधित सम्मेलन की रूप-रेखा तैयार की गई।

विश्व हिन्दी परिषद के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. विपिन कुमार ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय देश का अग्रणी विश्वविद्यालय है। इस नाते राष्ट्र उत्थान से संबंधित गतिविधियों में दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों का बढ़-चढ़ कर भाग लेना महत्वपूर्ण मायने रखता है। विश्व हिन्दी परिषद के पदाधिकारियों और कार्यकारिणी सदस्यों की इस बैठक में परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष देवी प्रसाद मिश्र संगठन विस्तार से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदुओं को रखा।

मिश्र ने कहा कि विश्व हिन्दी परिषद का उद्देश्य हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं का प्रयोग तथा हिन्दी को अन्य भारतीय भाषाओं के समन्वय से आगे बढ़ाना है। कम से कम एक लाख लोगों से जुड़ना तथा हिन्दी को राष्ट्र एवं विश्व भाषा बनाना साथ अन्य भारतीय भाषाओं के उत्थान एवं विकास के लक्ष्य को जन आंदोलन बनाना परिषद का उद्देश्य है। बैठक में प्रो. ममता वालिया, प्रो. प्रदीप, प्रो. हंसराज सुमन, प्रो. शशि, डॉ. दीनदायल, डॉ. प्रतिभा राणा, डॉ. प्रवीण, कौशल पांडे, संजीत (शोधार्थी), अभिलाष (शोधार्थी), श्रीकान्त, प्रतिष्ठा,पारुल आदि ने प्रमुखता से अपनी बात रखी।

हिन्दुस्थान समाचार/मुकुंद

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