भारत बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए बिजली की जरूरतों पर कोई समझौता नहीं करेगा : ऊर्जा मंत्री
नई दिल्ली, 14 नवंबर (हि.स.)। भारत में प्रति व्यक्ति उत्सर्जन विश्व औसत का एक तिहाई है जबकि विकसित देशों का उत्सर्जन विश्व औसत का तीन गुना है। वायुमंडल में लगभग 85 प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड भार विकसित देशों द्वारा अपनाए गए औद्योगीकरण के कारण है। भारत की जनसंख्या विश्व जनसंख्या का 17 प्रतिशत है जबकि कार्बन डाइऑक्साइड भार में हमारा योगदान केवल 3.5 प्रतिशत है लेकिन विकसित देश हमें बताना चाहते हैं कि हमें कोयले का उपयोग नहीं करना चाहिए।
केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने आज यहां पर प्रगति मैदान में चल रहे भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला 2023 में विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा स्थापित पावर पवेलियन के उद्घाटन के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए यह बात कही। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विकसित देशों को सबसे पहले अपने उत्सर्जन में कटौती करने की आवश्यकता है। भारत बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए बिजली की जरूरतों पर कोई समझौता नहीं करेगा बल्कि हम जिम्मेदारी से विकास करेंगे। इस अवसर पर विद्युत सचिव पंकज अग्रवाल भी मौजूद रहे।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम 2030 तक गैर-जीवाश्म-ईंधन स्रोतों से 40 प्रतिशत स्थापित बिजली क्षमता के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) लक्ष्य को प्राप्त करने में नौ साल आगे थे। हमने 2015 में सीओपी-21 में प्रतिज्ञा की थी कि हम अपनी उत्सर्जन तीव्रता को कम कर देंगे। हमने 2019 तक 33 प्रतिशत कर दिया। इसलिए हमने ग्लासगो में कहा है कि 2030 तक हमारी क्षमता का 50 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा से आएगा और हम अपनी उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम कर देंगे। हम इसे हासिल करेंगे, इसलिए हम निशाने पर हैं।
मंत्री ने कहा कि हमने पिछले नौ वर्षों के दौरान लगभग 1.9 लाख मेगावाट बिजली क्षमता जोड़कर इस क्षेत्र को बदल दिया है। पूरा देश एक राष्ट्रीय ग्रिड के अंतर्गत जुड़ गया है। निवेश से वितरण प्रणाली को मजबूत किया गया है। 2.1 लाख करोड़. ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की उपलब्धता अब 21 घंटे और शहरी क्षेत्रों में 23.5 घंटे है। हमने हर घर में बिजली पहुंचा दी है। भारत दुनिया में सबसे तेज गति से नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता बढ़ा रहा है।
हिन्दुस्थान समाचार/ बिरंचि सिंह/दधिबल
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