धरती माता के स्वास्थ्य को सुधारने के लिए पूरे विश्व को आना होगा साथ: थावरचंद गहलोत
- कर्नाटक के राज्यपाल गहलोत के मुख्य आतिथ्य में कृषि विवि में शुरू हुई ‘वन हेल्थ वन वर्ल्ड' संगोष्ठी
ग्वालियर, 28 दिसंबर (हि.स.)। कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने कहा कि जिस धरती को आदिकाल से हम माता मानकर पूजते आए हैं, आज उसका स्वास्थ्य खराब है। इसका सीधा असर मानव सहित समस्त जीव जगत पर पड़ रहा है। फलत: अनेक भयावह समस्याएं एवं बीमारियां बढ़ रही हैं। मृदा स्वास्थ्य में सुधार लाकर अपने प्राकृतिक आवास के पारिस्थितिकीय तंत्र को सुधारने के लिए पूरी दुनिया को साथ आना होगा। इसके लिए विश्व में हो रहे नवाचारों का अध्ययन कर उपयोग करना चाहिए।
राज्यपाल गहलोत गुरुवार को यहां राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय में ‘‘वन हेल्थ वन वर्ल्ड’’ संकल्पना पर आधारित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वैदिक काल से मृदा उर्वरता बढ़ाने के लिए पेड़-पौधों की पत्ती एवं गोबर की खाद के साथ-साथ फसल अवशेष के प्रयोग के प्रमाण मिलते हैं। फसल उत्पाद एवं भोजन की गुणवत्ता निश्चित रूप से मिट्टी के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणों अर्थात मृदा स्वास्थ्य पर निर्भर करती है।
गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा चलाई जा रही सॉइल हेल्थ कार्ड योजना की चर्चा करते हुए कहा कि इससे आज 28 करोड़ कृषि परिवार लाभान्वित हो रहे हैं। बढ़ती जनसंख्या के भरण पोषण के लिए अधिक उत्पादन की होड़ में आवश्यकता से अधिक उर्वरकों व कीटनाशकों के प्रयोग से प्राकृतिक संसाधनों दूषित हो रहे हैं और मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। कैंसर जैसे खतरनाक रोग दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं, जो हमारे लिये चिंता का विषय है।
गहलोत ने इस अवसर पर कृषि वैज्ञानिक डॉ. बीआर कम्बौज, डॉ. प्रभात कुमार, डॉ. प्रदीप कुमार, डॉ. अंकिता साहू, मधुमक्खी पालक मधुकेशवर हेंगडे व कृषक युवराज सिंह एवं कुलदीप शर्मा को कृषि क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए सम्मानित किया।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि भारतीय किसान संघ की राष्ट्रीय महासचिव मोहिनी मोहन मिश्रा ने कहा कि कोरोना काल में जब प्रत्येक व्यक्ति महामारी के भय से अपने घरों में बैठा था, तब भी हमारा किसान हम सबके पोषण के लिए खेती कर रहा था। देश की अर्थनीति व समाजनीति किसान पर ही निर्भर है।
विशिष्ट अतिथि सदस्य कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल नई दिल्ली डॉ. ब्रह्म स्वरूप द्विवेदी ने कहा कि जब तक हम समस्याओं को अलग-अलग करके सुलझाने का प्रयास करेंगे, तब तक इसका हल संभव नहीं है, क्योंकि मृदा स्वास्थय का प्रभाव पेड़-पौधों, जीव-जन्तु के साथ मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर भी पड़ता है। इसी से ‘वन हेल्थ वन वर्ल्ड‘‘ के महत्व पर आज पूरा विश्व चिंतन करने लगा है।
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति डॉ. बीएस कम्बोज ने कहा कि पूरा विश्व एक परिवार है, हम सभी को एक दूसरे के कामों में सहयोग करना चाहिए। मिट्टी में जिंक आयरन आदि सूक्ष्म पोषक तत्व कम होते जा रहे हैं। ऑर्गेनिक कार्बन के बिना मिट्टी मात्र धूल है इसकी मात्रा में गत कुछ ही वर्षों में बहुत अधिक कमी आई है। इसके दुष्परिणामों की चिंता हमें करनी होगी। कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के कुलपति प्रो. अरविन्द कुमार शुक्ला ने कहा कि पोषण युक्त भोजन के लिए हमें अपने खेती के तरीकों में बदलाव लाने की आवश्यकता है।
प्रारंभ में राज्यपाल गेहलोत ने श्रीअन्न भराव तथा जल भराव पूजन किया तथा संगोष्ठी पर आधारित एक स्मारिका का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वागत भाषण निदेशक विस्तार सेवाएं एवं नाहेप परियोजना प्रभारी डॉ. वायपी सिंह तथा अंत में आभार प्रदर्शन अधिष्ठाता कृषि संकाय डॉ. मृदुला बिल्लौरे द्वारा किया गया। कार्यक्रम में एम्स, भोपाल, आयुर्वेद महाविद्यालय, भोपाल, नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय, जबलपुर सहित 27 विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधि, जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर कुलपति डॉ. अविनाश तिवारी, राजा मान सिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय, ग्वालियर के कुलपति प्रो. साहित्य कुमार नाहर वैज्ञानिक, प्राध्यापक, कर्मचारी एवं विद्यार्थी आदि मौजूद रहे।
उद्घाटन सत्र के बाद विभिन्न वैज्ञानिक सत्रों में मानवता के लिए मृदा, पशु, मानव एवं मृदा स्वास्थ्य पारस्परिकता विषयों पर वैज्ञानिकों के द्वारा अपने शोध पत्रों का वाचन किया गया। संगोष्ठी के दूसरे दिन वैज्ञानिक सत्रों का आयोजन किया जाएगा तथा इसका समापन सत्र दोपहर दो बजे से आयोजित होगा।
हिन्दुस्थान समाचार/मुकेश/पवन
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