पारंपरिक चिकित्सा पर डब्ल्यूएचओ का वैश्विक सम्मेलन शुरू

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पारंपरिक चिकित्सा पर डब्ल्यूएचओ का वैश्विक सम्मेलन शुरू


नई दिल्ली, 17 दिसंबर (हि.स.)। भारत मंडपम में पारंपरिक चिकित्सा पर दूसरा विश्व स्वास्थ्य संगठन का वैश्विक शिखर सम्मेलन बुधवार को शुरू हो गया। इसका उद्घाटन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने किया। इस मौके पर आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव भी मौजूद रहे। विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने वीडियो संदेश के जरिए भारत की तारीफ की।

टैड्रोस ने नई दिल्ली में इस दूसरे शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के लिए एक वीडियो सन्देश में कहा कि संगठन सहस्राब्दियों के ज्ञान को आधुनिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की शक्ति के साथ जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि सर्वजन के लिए स्वास्थ्य के दृष्टिकोण को साकार किया जा सके।

उन्होंने कहा, “ज़िम्मेदारी, नैतिकता और समानता के साथ जुड़ते हुए और एआई से लेकर जीनोमिक्स तक के नवाचारों का उपयोग करके, हम पारम्परिक चिकित्सा की उस क्षमता को उजागर कर सकते हैं, जो हर समुदाय और हमारे ग्रह के लिए अधिक सुरक्षित, अधिक कुशल व अधिक टिकाऊ स्वास्थ्य समाधान दे सकती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन पारंपरिक चिकित्सा पर 2025–2034 के लिए एक वैश्विक रणनीति पर अमल को लेकर आगे बढ़ा रहा है और इस दिशा में, इस वैश्विक शिखर सम्मेलन में भी प्रमुख वैज्ञानिक पहलों और नई प्रतिबद्धताओं की घोषणा होने की उम्मीद है।

यह रणनीति मज़बूत साक्ष्यों, बेहतर विनियमन, स्वास्थ्य प्रणालियों में एकीकरण, सहयोग और समुदाय की भागेदारी पर केन्द्रित होगी।

इस मौके पर आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव ने बताया कि भारत और डब्ल्यू एचओ की साझेदारी से आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी जैसी पद्धतियों को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल रही है। भारत कई देशों के साथ मिलकर शिक्षा, शोध और प्रशिक्षण पर काम कर रहा है और पारंपरिक दवाओं पर वैज्ञानिक शोध को बढ़ावा दे रहा है।

इस मौके पर अश्वगंधा पर एक खास सत्र भी हुआ, जिसमें इसके फायदे, सुरक्षा और मानकों पर चर्चा की गई। विशेषज्ञों ने बताया कि अश्वगंधा तनाव कम करने, दिमाग और रोग-प्रतिरोधक क्षमता के लिए फायदेमंद है, लेकिन इसके लिए मजबूत वैज्ञानिक प्रमाण जरूरी हैं।

सम्मेलन में दुनिया भर के विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य, पर्यावरण, जैव विविधता और आदिवासी ज्ञान पर चर्चा की। सभी ने माना कि इंसान, समाज और प्रकृति के बीच संतुलन बनाना बहुत जरूरी है।

इस समिट का समापन 19 दिसंबर को होगा, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी

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