तेलंगाना की आर्थिक स्थिति पर विधानसभा में श्वेत पत्र जारी

तेलंगाना की आर्थिक स्थिति पर विधानसभा में श्वेत पत्र जारी
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तेलंगाना की आर्थिक स्थिति पर विधानसभा में श्वेत पत्र जारी


हैदराबाद, 20 दिसंबर (हि.स.)। तेलंगाना विधानसभा सत्र आज से फिर से शुरू हो गया है। सदन में राज्य की वित्तीय स्थिति पर अल्पकालिक चर्चा शुरू हुई। उपमुख्यमंत्री भट्टी विक्रमार्क ने श्वेत पत्र जारी किया और सदन को संबोधित करने से पहले सदस्यों को 42 पेज का श्वेत पत्र उपलब्ध कराया गया।

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि राज्य की जनता ने तेजी से विकास के लिए तेलंगाना हासिल किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली सरकार ने संसाधनों का सही उपयोग नहीं किया। यह रोजमर्रा के खर्चों के लिए ओडी के जरिये पैसे जुटाने की स्थिति है। विक्रमार्का ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण लगता है कि ऐसी स्थिति पैदा हो गई है। लोगों को एक दशक के दौरान हुई वित्तीय गलतियों के बारे में जानना जरूरी है। हम वित्तीय चुनौतियों पर पूरी जिम्मेदारी से विजय प्राप्त करने का विश्वास है। भट्टी ने कहा कि श्वेत पत्र चुनौतियों पर काबू पाने की दिशा में पहला कदम है।

इससे पहले, जब सदन शुरू हुआ तो विधानसभा ने हाल ही में निधन हुए पूर्व विधायकों के प्रति शोक प्रस्ताव की घोषणा की। स्पीकर गद्दाम प्रसाद कुमार ने एमआईएमआईएम विधायक दल के नेता के रूप में अकबरुद्दीन और सीपीआई विधायक दल के नेता के रूप में कून्नानेनी संबाशिवराव के नामों की घोषणा कर मान्यता दी है। विपक्षी दल के नेता और पूर्व वित्त मंत्री हरीश राव ने इस श्वेत पत्र पर अपनी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि उन्हें रिपोर्ट पढ़ने का समय भी नहीं दिया गया। बेहतर होता वे दस्तावेज एक दिन पहले दे देते। वे नवनिर्वाचित सरकार को कुछ समय देना चाहते हैं और सहयोग भी अगर वे सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं हैं तो उनके पास विरोध प्रदर्शन का भी विकल्प है। विपक्षी दल भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सदन को शांतिपूर्वक चलाने में पूरा सहयोग करेगा। इस पर शोर शराबा के बीच विधान सभा अध्यक्ष प्रसाद ने सदन को आधे घंटे के लिए स्थगित कर दिया था।

श्वेत पत्र की मुख्य अंश इस प्रकार हैं-

राज्य पर कुल कर्ज 6,71,757 करोड़ रुपये है।

2014-15 तक राज्य का कर्ज 72,658 करोड़ था।

2014-15 से 2022-23 के बीच औसत कर्ज 24.5 फीसदी बढ़ गया।

2023-24 के लिए राज्य का कर्ज़ ₹3,89,673 करोड़ अनुमानित है।

2015-16 में जीएसडीपी पर कर्ज देश में सबसे कम 15.7 फीसदी था।

2023-24 तक ऋण एवं जीएसडीपी का प्रतिशत बढ़कर 27.8 प्रतिशत हो गया।

बजट और वास्तविक व्यय के बीच 20 प्रतिशत का अंतर

57 साल में तेलंगाना के विकास पर ₹4.98 लाख करोड़ खर्च।

राज्य बनने के बाद कर्ज 10 गुना बढ़ गया।

ऋण चुकाने का बोझ बढ़कर राजस्व प्राप्तियों का 34 प्रतिशत हो गया।

राजस्व का 35 फीसदी हिस्सा कर्मचारियों के वेतन पर खर्च होता है।

हर दिन साधनों पर निर्भर रहने की दुर्दशा।

तेलंगाना, जो 2014 में सरप्लस राज्य था, 2023 में कर्ज में डूब गया है।

हिन्दुस्थान समाचार नागराज/प्रभात

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