(वार्षिकी) धर्म युद्ध का रहा साल 2025 - ममता ने बनाया जगन्नाथ मंदिर तो सनातनी संगठनों ने किया गीता पाठ, हुमायूं की बाबरी ने मचाया तहलका

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(वार्षिकी) धर्म युद्ध का रहा साल 2025 - ममता ने बनाया जगन्नाथ मंदिर तो सनातनी संगठनों ने किया गीता पाठ, हुमायूं की बाबरी ने मचाया तहलका


(वार्षिकी) धर्म युद्ध का रहा साल 2025 - ममता ने बनाया जगन्नाथ मंदिर तो सनातनी संगठनों ने किया गीता पाठ, हुमायूं की बाबरी ने मचाया तहलका


(वार्षिकी) धर्म युद्ध का रहा साल 2025 - ममता ने बनाया जगन्नाथ मंदिर तो सनातनी संगठनों ने किया गीता पाठ, हुमायूं की बाबरी ने मचाया तहलका


कोलकाता, 28 दिसंबर (हि.स.)। वर्ष 2025 अपने अंतिम दिनों में कदम रख चुका है। अगला वर्ष 2026 बंगाल में सियासी घमासान का साल रहने वाला है। विधानसभा चुनाव होंगे। उसके पहले बीता हुआ साल बंगाल में एक तरह से सियासी तकरार के साथ ही धर्म युद्ध का भी वर्ष रहा है। भव्य जगन्नाथ मंदिर से लेकर बाबरी मस्जिद तक की नींव पड़ी जिसने साल की शुरुआत से लेकर अंत तक खूब सुर्खियां बटोरीं। साल के अंत में कोलकाता के ऐतिहासिक और सबसे बड़े ब्रिगेड परेड मैदान में पांच लाख लोगों ने एक साथ गीता पाठ कर अधर्म पर धर्म की विजय का आह्वान भी किया है।

कुल मिलाकर देखें तो साल 2025 पश्चिम बंगाल के लिए केवल एक कैलेंडर वर्ष नहीं रहा, बल्कि यह आस्था, संस्कृति और राजनीति के आपसी मेल का एक लंबा अध्याय बन गया। जनवरी से दिसंबर तक राज्य में ऐसे धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन हुए, जिन्होंने न सिर्फ देश बल्कि दुनिया का ध्यान बंगाल की ओर खींचा। कहीं सरकार की योजनाएं धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देती दिखीं, तो कहीं धार्मिक आयोजनों ने सीधे राजनीति की दिशा और दशा को प्रभावित किया।

सारे तीरथ बार-बार गंगासागर एक बार...साल की शुरुआत गंगासागर मेले से हुई। 14 और 15 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर दक्षिण 24 परगना के सागर द्वीप पर आस्था का सैलाब उमड़ा। गंगा और बंगाल की खाड़ी के संगम पर इस बार रिकॉर्ड करीब 60 से 70 लाख श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई। प्रशासनिक स्तर पर व्यापक इंतजाम किए गए। सारे तीरथ बार-बार, गंगासागर एक बार की कहावत को चरितार्थ करते हुए लाखों लोगों ने मोक्ष की चाह में आस्था की डुबकी लगाई।

मार्च में नदिया जिले के मायापुर में इस्कॉन के चंद्रोदय मंदिर परिसर में भगवान नृसिंह देव के भव्य विग्रह के अभिषेक का आयोजन हुआ। दुनिया भर से आए इस्कॉन अनुयायियों ने इसमें भाग लिया और मायापुर एक बार फिर वैश्विक आध्यात्मिक मानचित्र पर उभरा।

भव्य जगन्नाथ मंदिर रहा राष्ट्रीय सुर्खियांअप्रैल के महीने में पूर्व मेदिनीपुर का दीघा देशभर में चर्चा का विषय बन गया। 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के दिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दीघा में ओडिशा के मशहूर मंदिर की तर्ज पर नवनिर्मित जगन्नाथ मंदिर का उद्घाटन किया। करीब 65 मीटर ऊंचा यह मंदिर ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर की तर्ज पर बनाया गया है और राजस्थान के विशेष बलुआ पत्थर से इसका निर्माण हुआ है। सरकार का साफ संदेश था कि दीघा को एक बड़े धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जाए, ताकि जो श्रद्धालु पुरी नहीं जा पाते, वे यहां दर्शन कर सकें। इस परियोजना को ममता बनर्जी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तौर पर देखा गया। साथ ही इसे ममता बनर्जी की सरकार पर लगने वाले मुस्लिम तुष्टीकरण के आरोपों के काट के तौर पर भी प्रचारित किया गया। हालांकि इस मंदिर निर्माण को लेकर ओडिशा सरकार के साथ तकरार भी हुई।

शहीद दिवस के मंच से ममता ने किया दुर्गांगन का ऐलानगर्मियों के बाद मानसून के साथ राजनीति और संस्कृति का मेल और गहराया। 21 जुलाई को शहीद दिवस की रैली में मुख्यमंत्री ने कोलकाता के न्यू टाउन इलाके में ‘दुर्गा आंगन’ बनाने की घोषणा की। इसके बाद जुलाई से सितंबर के बीच इस परियोजना पर काम शुरू हुआ। हिडको को जमीन आवंटित की गई और इसे ऐसा स्थायी परिसर बनाने की योजना सामने आई, जहां यूनेस्को से मान्यता प्राप्त बंगाल की दुर्गा पूजा को साल के 365 दिन महसूस किया जा सके। प्रस्तावित दुर्गा आंगन में संग्रहालय, कला दीर्घा और मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की झांकियां शामिल होंगी। यह परियोजना सांस्कृतिक पहचान के साथ पर्यटन को जोड़ने की एक बड़ी कोशिश मानी गई।

अक्टूबर में दुर्गा पूजा और रेड रोड कार्निवल ने एक बार फिर कोलकाता को वैश्विक मंच पर पहुंचाया। यूनेस्को हेरिटेज टैग मिलने के बाद दुर्गा पूजा का यह उत्सव सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक बना।

विवादित बाबरी मस्जिद की नींव भी पड़ी बंगाल मेंसाल के आखिरी महीनों में धार्मिक आयोजनों के साथ विवाद और राजनीति भी तेज हो गई। अयोध्या की विवादित बाबरी विध्वंस के दिन 6 दिसंबर को मुर्शिदाबाद के रेजीनगर में तृणमूल कांग्रेस से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने बाबरी मस्जिद की तर्ज पर एक मस्जिद और शिक्षण संस्थान की नींव रखी। उनके इस दावे कि ढांचा अयोध्या की बाबरी मस्जिद जैसा दिखेगा, ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी। क्योंकि उच्चतम न्यायालय के आदेश पर अयोध्या में भव्य राम मंदिर बन चुका है जो दुनिया भर के करोड़ों हिंदुओं की आस्था से जुड़ा है। चुनाव से पहले बंगाल की इस बाबरी का राजनीतिक नुकसान पार्टी को ना उठाना पड़े इसलिए टीएमसी नेतृत्व ने खुद को इस आयोजन से अलग किया और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के आरोपों के बीच कबीर पर कार्रवाई की गई। इसके बाद उन्होंने अपनी नई पार्टी ‘जनता उन्नयन पार्टी’ (जेयूपी) का गठन किया है। पार्टी के झंडे में हुमायूं ने भगवा रंग को सबसे नीचे और हरे रंग को सामने रखा है।

ब्रिगेड में गीता पाठ से अधर्मी ताकतों के अंत का आह्वानइसके ठीक अगले दिन 7 दिसंबर को कोलकाता के ऐतिहासिक ब्रिगेड परेड मैदान में एक अलग ही तस्वीर देखने को मिली। करीब पांच लाख लोगों ने एक साथ भगवद गीता का पाठ किया। ‘पांच लखो कंठे गीता पाठ’ (पांच लाख कंठों से गीता पाठ) नाम के इस आयोजन में विभिन्न हिंदू संगठनों, संतों के साथ बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री और साध्वी ऋतंभरा भी उपस्थित हुईं। दोनों ने बंगाल से नकारात्मक तत्वों के अंत का आह्वान किया। इन्होंने एक तरह से ममता सरकार के खात्मे की अपील की। इसी मंच से राज्यपाल डॉ. सीवी आनंद बोस ने भी कहा कि बंगाल ने परिवर्तन का मन बना लिया है। इसीलिए इस आयोजन को 2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बड़े संकेत के तौर पर देखा गया है। इसे सनातन धर्म के प्रचार और बंगाल में हिंदू आस्था की शक्ति के प्रदर्शन के रूप में देखा गया। साल 2023 के बाद यह अब तक का सबसे बड़ा धार्मिक जमावड़ा माना गया।

साल का समापन 26 और 27 दिसंबर को कोलकाता के साइंस सिटी ऑडिटोरियम में हुए 16वें वर्ल्ड स्पिरिचुअल कॉन्फ्लुएंस के साथ हुआ। राज्यपाल डाॅ. सीवी आनंद बोस की उपस्थिति में विभिन्न धर्मों के प्रमुखों ने विश्व शांति और आपसी समझ पर चर्चा की। यह आयोजन साल भर चले धार्मिक संवाद का प्रतीक बन गया।

कुल मिलाकर साल 2025 में पश्चिम बंगाल आस्था, संस्कृति और राजनीति के ऐसे मंच के रूप में उभरा, जहां धार्मिक आयोजन केवल पूजा तक सीमित नहीं रहे, बल्कि पर्यटन, पहचान और सियासी तकरार से भी जुड़े रहे। यही वजह है कि यह साल राज्य के इतिहास में एक अलग पहचान के साथ दर्ज होता दिख रहा है।-------------------

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर

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