लैंगिक समानता किसी भी समानता के लिए सर्वोत्कृष्ट : उपराष्ट्रपति
नई दिल्ली, 02 नवंबर (हि.स.)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को इस बात पर जोर दिया कि लैंगिक समानता किसी भी समानता के लिए सर्वोत्कृष्ट है और यदि लैंगिक समानता नहीं है तो समाज में कोई समानता नहीं हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि यह लैंगिक समानता सार रूप में होनी चाहिए और इसकी अभिव्यक्ति जमीनी हकीकत होनी चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस कॉलेज के प्लेटिनम जुबली संबोधन में “भारतीय संसद में महिलाओं की भूमिका” विषय पर अपने भाषण के दौरान यह टिप्पणी की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि संसद में महिलाओं की भूमिका बहुत बड़ी है और उनकी उपस्थिति अपने आप में विधानमंडलों में माहौल को उत्साहित कर देगी। यह स्वीकार करते हुए कि महिलाएं अपने जीवन के अनुभवों और उनके सामने आने वाली चुनौतियों को सामने लाने में सक्षम होंगी, धनखड़ ने जोर देकर कहा कि इससे निश्चित रूप से नीतियों के विकास में शासन को मदद मिलेगी, जिससे बड़े मुद्दों का समाधान होगा।
नारी शक्ति वंदन अधिनियम (महिला आरक्षण) के पारित होने को इतिहास में एक युगांतकारी विकास बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह एक महान विकास है, जो यह सुनिश्चित करेगा कि 2047 में भारत जब अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी मनाएगा तब हम शिखर पर होंगे। यह उल्लेख करते हुए कि जब राज्यसभा ने महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा की तो उन्होंने उच्च सदन का नेतृत्व करने के लिए 17 महिला सांसदों को चुना। उपराष्ट्रपति ने छात्राओं से आह्वान किया कि वे कभी भी खुद को बैक बेंच या बैकफुट पर न रहने दें। उन्होंने कहा, “दुनिया आपकी है; दुनिया को आपके द्वारा आकार देना होगा। आज, भारतीय महिलाएं वैश्विक संस्थानों में शक्ति के पद पर आसीन हैं, जिससे हम सभी को बहुत गर्व हो रहा है।”
2019 के आम चुनावों में लोकसभा में सबसे अधिक संख्या में महिला सांसदों के चुने जाने का जिक्र करते हुए धनखड़ ने इस सफलता का श्रेय पिछले वर्षों में प्रधानमंत्री द्वारा की गई विभिन्न महिला सशक्तीकरण पहलों को दिया। यह देखते हुए कि 'सरपंच पति' की घटना काफी हद तक खत्म हो गई है। उन्होंने कहा कि अब कोई भी महिला प्रतिनिधियों के लिए बनी सीट पर कब्जा करने की हिम्मत नहीं करता है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि ये महिलाएं ही हैं, जो अपने परिवार, समाज, बच्चों और बुजुर्गों के लिए बहुत त्याग करती हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि अपने लिंग को न्याय देना मेरे लिंग के लिए स्वत: न्याय है। उन्होंने आगे कहा, “ऐसा इसलिए है, क्योंकि आपका लिंग सद्गुण, उदात्तता और सेवा का उदाहरण देता है। भगवान ने आपको ऐसी क्षमताएं प्रदान की हैं, जो आपको दूसरों की मदद करने का अवसर देती हैं।
हाल के वर्षों में महिला सशक्तीकरण के लिए सरकार द्वारा विभिन्न पहलों का उल्लेख करते हुए, धनखड़ ने कहा, “रक्षा बलों में लड़कियां युद्ध की स्थिति में हैं। सैनिक स्कूलों में अब लड़कियों को भी प्रवेश मिल रहा है। आप परिवर्तन हैं, आप परिवर्तन को उत्प्रेरित कर रहे हैं।
भारत के दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने पर खुशी व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा संचालित है। उन्होंने कहा कि भारत उत्थान पर है और यह उत्थान अजेय है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि कुछ लोग भारत की विकास गाथा को पचा नहीं पा रहे हैं और छात्रों से ऐसे तत्वों को जवाब देने का आह्वान किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि आपकी चुप्पी राष्ट्रीय हित में नहीं होगी और उनसे भारत के गौरवान्वित नागरिक होने और हमारी भारतीयता पर गर्व करने के लिए कहा। प्रधानमंत्री के 'वोकल फॉर लोकल' के आह्वान को दोहराते हुए उपराष्ट्रपति ने देश के विकास में आर्थिक राष्ट्रवाद के महत्व पर जोर दिया और इस बात पर जोर दिया कि दीया, मोमबत्ती, पतंग, खिलौने और पर्दे जैसी वस्तुओं का आयात नहीं किया जाना चाहिए।
इससे पहले उपराष्ट्रपति ने कॉलेज के 75 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाते हुए स्मारक प्लेटिनम जुबली वॉल्यूम - मिरांडा हाउस क्रॉनिकल्स का विमोचन किया। इसके अलावा उन्होंने कॉलेज परिसर में एक पौधा भी लगाया।
इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह, डीयू के डीन ऑफ कॉलेजेज प्रोफेसर बलराम पाणि, डीयू की प्रॉक्टर प्रोफेसर रजनी अब्बी, मिरांडा हाउस की प्रिंसिपल प्रोफेसर बिजयलक्ष्मी नंदा, संकाय सदस्य, छात्र और अन्य गण्यमान्य लोग उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान समाचार/ सुशील/दधिबल
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