उपराष्ट्रपति ने आगाह किया, राजकोषीय लाभ के लिए आर्थिक राष्ट्रवाद से समझौता नहीं किया जा सकता

उपराष्ट्रपति ने आगाह किया, राजकोषीय लाभ के लिए आर्थिक राष्ट्रवाद से समझौता नहीं किया जा सकता
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उपराष्ट्रपति ने आगाह किया, राजकोषीय लाभ के लिए आर्थिक राष्ट्रवाद से समझौता नहीं किया जा सकता


नई दिल्ली, 02 दिसंबर (हि.स.)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को देश की प्रगति में तेजी लाने के लिए आर्थिक राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के महत्व पर प्रकाश डाला। गैर-आवश्यक वस्तुओं के आयात के लिए विदेशी मुद्रा के उपयोग पर सवाल उठाते हुए उपराष्ट्रपति ने व्यापार, उद्योग और व्यवसाय से आर्थिक राष्ट्रवाद को बनाए रखने की अपील की और प्रत्येक नागरिक को इसके प्रति संवेदनशील बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। यह चेतावनी देते हुए कि राजकोषीय लाभ के लिए आर्थिक राष्ट्रवाद से समझौता नहीं किया जाना चाहिए, उन्होंने कहा, “जब हम इस प्रबुद्ध विचार की सदस्यता लेंगे तो हमारी अर्थव्यवस्था को भारी उछाल मिलेगा।”

नई दिल्ली के आकाशवाणी भवन में ऑल इंडिया रेडियो (आकाशवाणी) द्वारा ‘आर्थिक महाशक्ति के रूप में भारत का अभ्युदय’ विषय पर आयोजित डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेमोरियल व्याख्यान 2023 में भाषण देते हुए उपराष्ट्रपति ने स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने भारत की संविधान सभा के शीर्ष पर डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया और सभी विधायकों से राष्ट्र की प्रगति के लिए संविधान सभा के सदस्यों के व्यवहार का अनुकरण करने का आह्वान किया।

भारत की अर्थव्यवस्था को पांच नाजुक अर्थव्यवस्थाओं में से एक से लेकर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने तक की यात्रा के संदर्भ में उपराष्ट्रपति ने भारत की ऐतिहासिक उपलब्धियों का उल्लेख किया। भारत के वैश्विक कद की सराहना करते हुए धनखड़ ने कहा कि आज पूरी दुनिया वैश्विक मामलों पर भारत को एक अग्रणी आवाज के रूप में देखती है।

पूरी मानवता के लिए खतरा पैदा करने वाली जलवायु परिवर्तन की चुनौती को ध्यान में रखते हुए उपराष्ट्रपति ने प्राकृतिक संसाधनों के अधिकतम उपयोग का आह्वान किया और कहा कि किसी की राजकोषीय शक्ति को पानी, पेट्रोलियम, बिजली जैसे संसाधनों के उपयोग का निर्धारण नहीं करना चाहिए। महात्मा गांधी का उद्धरण देते हुए धनखड़ ने याद दिलाया कि पृथ्वी के पास हर किसी की ज़रूरत के लिए पर्याप्त है लेकिन हर किसी की लालच के लिए नहीं।

देश के सभी कोनों में महत्वपूर्ण संदेश पहुंचाने के एक मंच के रूप में ऑल इंडिया रेडियो के महत्व को रेखांकित करते हुए उपराष्ट्रपति ने रेडियो माध्यम को एक नई पहचान दिलाने में प्रधानमंत्री के 'मन की बात' की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने झूठे, सुनियोजित आख्यानों को बेअसर करने और नागरिकों तक प्रामाणिक जानकारी सुनिश्चित करने के माध्यम के रूप में रेडियो के महत्व पर भी जोर दिया।

इस अवसर पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव अपूर्व चंद्रा, प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) गौरव द्विवेदी, आकाशवाणी की प्रधान महानिदेशक डॉ. वसुधा गुप्ता और अन्य गण्यमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार/ सुशील/दधिबल

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